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Last Modified: सोमवार, 24 दिसंबर 2018 (19:46 IST)

फेक न्यूज पर लगाम वाले नियम का मसौदा जारी

फेक न्यूज पर लगाम वाले नियम का मसौदा जारी - Fake News
नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर फैलाए जाने वाली अफवाहों और फेक न्यूज पर लगाम लगाने के उद्देश्य से वर्ष 2011 में जारी नियमों के स्थान पर सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थानों के लिए दिशा निर्देश) नियम 2018 के मसौदे पर आम लोगों से राय मांगी गई है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस संबंध में कहा है कि 2011 में अधिसूचित नियमों के स्‍थान पर सूचना प्रौद्योगिकी (मध्‍यवर्ती संस्‍थानों के लिए दिशा-निर्देश) नियम, 2018 का मसौदा तैयार किया।
 
 
विभिन्‍न मंत्रालयों के बीच और उसके बाद सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म/फेसबुक, गूगल, ट्विटर, याहू, वॉट्सएप और मध्‍यवर्ती संस्‍थानों का प्रतिनिधित्‍व करने वाली अन्‍य एसोसिएशनों जैसे आईएएमएआई, सीओएआई और आईएसपीएआई जैसे संदेश देने वाले प्‍लेटफॉर्मों सहित अन्‍य साझेदारों की राय के आधार पर इस मसौदे को तैयार किया गया है। मंत्रालय ने अब लोगों की राय लेने के लिए नियमों का मसौदा तैयार किया है जिस पर टिप्‍पणियां 15 जनवरी तक राय दी जा सकती हैं।
 
सूचना प्रौद्योगिकी कानून (आईटी कानून), 2000 को इलेक्‍ट्रॉनिक लेन-देन को प्रोत्‍साहित करने, ई-कॉमर्स और ई-ट्रांजेक्‍शन के लिए कानूनी मान्‍यता प्रदान करने, ई-शासन को बढ़ावा देने, कम्‍प्‍यूटर आधारित अपराधों को रोकने तथा सुरक्षा संबंधी कार्यप्रणाली और प्रक्रियाएं सुनिश्चित करने के लिए अमल में लाया गया था। यह कानून 17 अक्टूबर 2000 को लागू किया गया।
 
आईटी कानून के अनुच्‍छेद 79 में कुछ मामलों में मध्‍यवर्ती संस्‍थाओं को देनदारी से छूट के बारे में विस्‍तार से बताया गया है। अनुच्‍छेद 79(2) (सी) में जिक्र किया गया है कि मध्‍यवर्ती संस्‍थाओं को अपने कर्तव्‍यों का पालन करते हुए उचित तत्‍परता बरतनी चाहिए और साथ ही केंद्र सरकार द्वारा प्रस्‍तावित अन्‍य दिशा-निर्देशों का भी पालन करना चाहिए। तदनुसार सूचना प्रौद्योगिकी (मध्‍यवर्ती संस्‍थानों के लिए दिशा-निर्देश) नियमों, 2011 को अप्रैल 2011 में अधिसूचित किया गया।
 
सरकार ने नागरिकों को बोलने और अभिव्‍यक्ति तथा निजता की आजादी देने के लिए प्रतिबद्ध जताते हुए कहा है कि सोशल नेटवर्क प्‍लेटफॉर्म में आने वाली सामग्री को निय‍ंत्रित नहीं किया जाना चाहिए। इन सोशल नेटवर्क प्‍लेटफॉर्मों की जरूरत हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 के अनुच्‍छेद 79 में प्रदत्‍त ऐसी कार्रवाई, जिसमें प्रस्‍तावित बि‍क्री, खरीद, ठेके आदि के बारे में उपयुक्‍त और विश्‍वसनीय जानकारी एकत्र करने और पेशेवर सलाह देने के लिए आवश्‍यक है। इसमें अधिसूचित नियम सुनिश्चित करते हैं कि उनके मंच का इस्‍तेमाल आतंकवाद, उग्रवाद, हिंसा और अपराध के लिए नहीं किया जाता रहा है।
 
अपराधियों और राष्‍ट्रविरोधी तत्‍वों द्वारा सोशल मीडिया के दुरुपयोग के मामलों ने कानून क्रियान्वित करने वाली एजेंसियों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। इसमें आतंकवादियों की भर्ती के लिए प्रलोभन, अश्‍लील सामग्री का प्रसार, वैमनस्‍य फैलाना, हिंसा भड़काना, फेक न्‍यूज आदि शामिल हैं। फेक न्‍यूज/वॉट्सऐप और अन्‍य सोशल मीडिया साइटों के जरिए फैलाई गई अफवाहों के कारण 2018 में भीड़ द्वारा हत्या की अनेक घटनाएं हुईं।
 
संसद के मानसून सत्र 2018 में 'सोशल मी‍डिया प्‍लेटफॉर्म के दुरुपयोग और फेक न्‍यूज के प्रसार' पर राज्‍यसभा में ध्‍यानाकर्षण प्रस्‍ताव पर हुई चर्चा के जवाब में सरकार ने सदन को बताया था कि कानूनी ढांचे को मजबूत करने और इस कानून के अंतर्गत सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्मों को जवाबदेह बनाने के लिए वह कृत-संकल्‍प है। (वार्ता)
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