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Last Updated :नई दिल्ली , सोमवार, 11 मार्च 2024 (23:32 IST)

चुनावी बॉन्ड मामले को CAA से दबाना चाहती है मोदी सरकार, लागू करने में क्यों लगा 4 साल और 3 महीने का वक्त

लोकसभा चुनाव से पहले क्यों हुई घोषणा

चुनावी बॉन्ड मामले को CAA से दबाना चाहती है मोदी सरकार, लागू करने में क्यों  लगा 4 साल और 3 महीने का वक्त - Designed to polarise elections : Opposition attacks Centre over CAA notification
Citizenship Act CAA implemented ahead of Lok Sabha polls : विपक्षी दलों ने विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 को लागू करने से जुड़े नियमों को अधिसूचित किए जाने के बाद सोमवार को आरोप लगाया कि यह चुनावी चुनावी बॉन्ड के मुद्दे से ध्यान भटकाने और लोकसभा चुनाव से पहले ध्रुवीकरण की कोशिश है।
विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 को लागू करने से जुड़े नियमों को सोमवार को अधिसूचित कर दिया गया, जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से दस्तावेज के बिना आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
 
सीएए के नियम जारी हो जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता देना शुरू कर देगी।
 
मोदी सरकार को क्यों लगे 4 साल और 3 महीने : कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि दिसंबर, 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए। 
 
प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल पेशेवर और समयबद्ध तरीके से काम करती है। सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफेद झूठ की एक और झलक है।
 
उन्होंने आरोप लगाया कि सीएए के नियमों को अधिसूचित करने के लिए नौ बार समय-सीमा बढ़ाने की मांग के बाद, इसकी घोषणा करने के लिए जानबूझकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया है।
 
रमेश ने दावा किया कि ऐसा स्पष्ट रूप से चुनाव को ध्रुवीकृत करने के लिए किया गया है, विशेष रूप से असम और बंगाल में। यह चुनावी बॉण्ड घोटाले पर उच्चतम न्यायालय की कड़ी फटकार और सख़्ती के बाद, ‘हेडलाइन को मैनेज करने’ का प्रयास भी प्रतीत होता है।
ध्यान भटकाने की राजनीति : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि जनता भाजपा की ध्यान भटकाने की राजनीति को समझ चुकी है।
 
उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि जब देश के नागरिक रोज़ी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं, तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता क़ानून’ लाने से क्या होगा? जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है। भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 वर्षों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गए। 
 
यादव ने कहा कि चाहे कुछ हो जाए, कल चुनावी बॉण्ड का हिसाब तो देना ही पड़ेगा और फिर ‘केयर फंड’ का भी।’’ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता और केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सीएए को साम्प्रदायिक विभाजन करने वाला कानून बताया और कहा कि इसे राज्य में लागू नहीं किया जाएगा।
 
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि अगर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) लोगों के समूहों के साथ भेदभाव करता है, तो वह इसका विरोध करेंगी।
 
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदु्द्दीन ओवैसी ने दावा किया कि सीएए का कोई और मकसद नहीं, सिर्फ मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना है।
 
ओवैसी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि आप क्रोनोलॉजी समझिए। पहले चुनाव का मौसम आएगा, फिर सीएए के नियम आएंगे। सीएए पर हमारी आपत्तियां जस की तस बरकरार हैं। सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की उस सोच पर आधारित है, जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहती है।
 
उन्होंने कहा कि सताए गए किसी भी व्यक्ति को शरण दी जाए, लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए। सरकार को बताना चाहिए कि उसने इन नियमों को 5 साल तक क्यों लंबित रखा और अब इसे क्यों लागू कर रही है। एनपीआर-एनआरसी के साथ, सीएए का उद्देश्य केवल मुसलमानों को निशाना बनाना है, इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं है।
ओवैसी ने कहा कि सीएए, एनपीआर-एनआरसी का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरे भारतीय नागरिकों के पास फिर से इसका विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।

क्या बोली ममता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा कि अगर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) किसी भी समुदाय या लोगों के साथ भेदभाव करता है तो वह राज्य में इसके कार्यान्वयन का विरोध करेंगी। इनपुट भाषा
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