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Last Updated : बुधवार, 20 फ़रवरी 2019 (09:47 IST)

प्रसिद्ध साहित्यकार नामवर सिंह का निधन, शोक में डूबा साहित्य जगत

Namwar Singh। हिन्‍दी आलोचना के शिखर पुरुष नामवर सिंह का निधन - Critic Namwar Singh passes away
नई दिल्ली। हिन्दी आलोचना के शिखर पुरुष नामवर सिंह का मंगलवार की मध्य रात्रि यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वे 92 वर्ष के थे। सिंह गत एक माह से बीमार थे। उनका अंतिम संस्कार अपराह्न तीन बजे लोधी रोड शवगृह में किया जाएगा।

उनके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री है। उनकी पत्नी का निधन कई साल पहले हो गया था। एक मई 1926 को उत्तर प्रदेश के जीयनपुर में जन्मे नामवर सिंह के निधन से हिन्दी साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। साहित्य अकादमी जनवादी लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ एवं जन संस्कृति मंच ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। वह साहित्य अकादमी के फेलो भी थे।

सिंह को बिस्तर से गिरने के बाद गत माह एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां मंगलवार रात 11:15 बजे उन्होंने अंतिम सांस लीं। सिंह को उनकी रचना ‘कविता के नए प्रतिमान’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। वे जवाहर लाल नेहरू विश्‍वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र के अध्यक्ष और महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्‍वविद्यालय के कुलाध्यक्ष भी थे।

प्रसिद्ध लेखक अशोक वाजपेयी, निर्मला जैन, विश्वनाथ त्रिपाठी, काशी नाथ सिंह, ज्ञानरंजन, मैनेजर पांडे, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, असगर वज़ाहत, नित्यानंद तिवारी तथा मंगलेश डबराल जैसे लेखकों ने सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और हिन्दी साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया है। सिंह की गिनती देश के बड़े बुद्धिजीवियों तथा विद्वानों में होती थी।

नामवर सिंह की प्रमुख रचनाएं : उनकी मुख्य रचनाओं में बकलम खुद, हिन्‍दी के विकास में अपभ्रंश का योग, आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां, छायावाद, पृथ्वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, कहानी नई कहानी, कविता के नए प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज, वाद विवाद संवाद जैसी आलोचना और कहना न होगा जैसे साक्षात्कार जैसी रचनाएं प्रमुख हैं।

साहित्य जगत में गहरा शोक : साहित्य और पत्रकारिता जगत के दिग्गजों ने नामवर सिंह के निधन पर गहरा शोक जताया है। वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि वे एक नायाब आलोचक और साहित्य में दूसरी परंपरा के अन्वेषी थे। उन्होंने ट्वीट किया, हिंदी में फिर सन्नाटे की ख़बर, नायाब आलोचक, साहित्य में दूसरी परंपरा के अन्वेषी, डॉ. नामवर सिंह नहीं रहे।