• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. cracks in Joshimath, PMO calls high level meeting
Written By
Last Updated : रविवार, 8 जनवरी 2023 (15:13 IST)

संकट में जोशीमठ, धंस रही है जमीन, PMO ने बुलाई उच्चस्तरीय बैठक

संकट में जोशीमठ, धंस रही है जमीन, PMO ने बुलाई उच्चस्तरीय बैठक - cracks in Joshimath, PMO calls high level meeting
नई दिल्ली। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने और कई स्थानों पर घरों में दरारें पड़ने की घटनाओं के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) रविवार दोपहर को इस संकट पर उच्चस्तरीय बैठक करेगा।
सरकारी बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा कैबिनेट सचिव, केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सदस्यों के साथ समीक्षा बैठक करेंगे। इस बैठक में जोशीमठ जिला प्रशासन और उत्तराखंड सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हिस्सा लेंगे।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जमीनी स्तर पर स्थिति का जायजा लेने के लिए कल जोशीमठ का दौरा किया था। इससे एक दिन पहले उन्होंने करीब 600 प्रभावित परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा था कि जोशीमठ सांस्कृतिक, धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है और इसे बचाने के सभी प्रयास किए जाएंगे।

धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी व्यक्तिगत रूप से जोशीमठ की स्थिति एवं क्षेत्र में सरकार द्वारा चल रहे सुरक्षात्मक कार्यों पर नजर बनाए हुए हैं साथ ही उन्होंने जोशीमठ को बचाने के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।

जोशीमठ बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों तथा अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग स्थल औली के लिए प्रवेश द्वार है और इसके सामने बहुत बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई है।
 
जोशीमठ वह धार्मिक स्थल है जहां आदिगुरु शंकराचार्य ने तपस्या कर दिव्य ज्योति प्राप्त की थी। यहां 1200 साल पुराना नृसिंह देव का मंदिर स्थित है, आदि शंकराचार्य ने ही नृसिंह देव की मूर्ति को यहां स्थापित किया था। पौराणिक मान्यताओं में जोशीमठ को स्वर्ग का प्रवेश द्वार भी कहा गया है।
 
बद्रीनाथ मंदिर के कपाट सर्दियों के लिए बंद होने के बाद भगवान बद्री की एक मूर्ति को जोशीमठ के नरसिंह मंदिर लाकर पूरे शीतकाल में यहीं उनकी पूजा होती है। भारत के सबसे ऊंचे पर्वत नंदा देवी तक पहुंचने का रास्ता भी यहीं से गुजरता है। जोशीमठ में मौजूद 2400 साल पुराने शहतूत के पेड़ को यहां कल्पवृक्ष मन जाता है। इसके नीचे प्राकृतिक गुफा है। शंकराचार्य ने इसी प्राचीन वृक्ष के नीचे ध्यान किया था, लोग उनको भगवान शिव का अवतार मानते थे।
ये भी पढ़ें
पंखों पर महंगाई की मार, जानिए क्‍यों बढ़ेंगे दाम...