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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : सोमवार, 13 अप्रैल 2020 (18:37 IST)

लॉकडाउन पार्ट- 2 में कोरोना के साथ घरेलू और बच्चों के खिलाफ हिंसा को रोकना बड़ी चुनौती ?

लॉकडाउन में घरेलू हिंसा के मामलों में इजाफा

लॉकडाउन पार्ट- 2  में  कोरोना के साथ घरेलू और बच्चों के खिलाफ हिंसा को रोकना बड़ी चुनौती ? - Coronavirus : Domestic violence is a big challenge in Lockdown part -2
कोरोना संक्रमण को काबू में करने के लिए अब जब लॉकडाउन बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है तब चुनौती आर्थिक स्तर के साथ घरेलू स्तर पर भी बढ़ने जा रही है। 21 दिन के लॉकडाउन के पहले चरण में जिस तरह घरेलू हिंसा और बच्चों के साथ हिंसा के मामले में तेजी से इजाफा हुआ उसको लेकर अब बहस तेज हो गई है। 

उधर लॉकडाउन के दौरान बच्चों से हिंसा के मामले में हुई बढ़ोत्तरी का मामला अब सुप्रीमकोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों आरजू अनेजा और सुमीर सोढ़ी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर मामले को संज्ञान लेने की गुहार लगाई है। अपने पत्र में वकीलों ने अपनी पिटीशन में इस बारे में गाइडलाइंस बनाने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि बच्चों को काउंसलिंग मुहैया कराई जाए।  

गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान देश में बच्चों के खिलाफ हिंसा के मामले में 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। पिछले दिनों चाइल्ड लाइन हेल्पलाइन के जारी  हुए आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरन हर मिनट छह बच्चों हिंसा और शोषण  के शिकार हो रहे है।   लॉकडाउन के दौरान हेल्पलाइन नंबर 1098 पर 11 दिनों में 92 हजार से अधिक कॉल्स आई। वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग को लॉकडाउ के दौरान 370 शिकायतें मिली जिसमें 123 केवल घरेलू हिंसा से जुड़ी हुई थी।
लॉकडाउन के दौरान ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भी चाइल्ड लाइन को बच्चों के  खिलाफ घर में हिंसा की कई शिकायतें मिल रही है। इस दौरान सामने आए एक ऐसे ही मामले में चाइल्ड पर एक किशोरी ने अपने पिता के खिलाफ ही हिंसा की  शिकायत दर्ज कराई। अपनी शिकायत में उसने पिता के हिंसक होने की शिकायत करते हुए घर से कई और शिफ्ट होने की इच्छा भी जताई। 
 
लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा और बच्चों के खिलाफ हिंसा के बढ़ते हुए मामलों को लेकर मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवदी चिंता जताते हुए कहते है कि बच्चों पर माता-पिता का सीधा असर पड़ता है। वह अपना अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि उनके पास आम दिनों की अपेक्षा इन दिनों डिप्रेशन के शिकार मरीजों की संख्या में अचानक से इजाफा हो गया है जिसमें अधिकतर मामलों की जड़ में कही न कही घरेलू हिंसा एक प्रमुख कारण है। 
वह कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान देखा जा रहा है कि माता-पिता बच्चों के साथ अपना संयोजन नहीं बैठा पा रहे है। वह कहते हैं कि इसके लिए जरूरी है कि पति पत्नी के बीच संवाद होना और उनका समझना बेहद जरुरी है। वह कहते हैं कि अब जब लॉकडाउन अपने दूसरे चरण में जा रहा है तब बच्चों से ज्यादा माता पिता की मानसिक स्थिति को सही रखना ज्यादा चुनौतीपूर्ण है और इस पर ध्यान देने की जरूरत है। वह सुझाव देते हुए कहते है कि राज्य सरकारों को इसके लिए एक विशेष हेल्पलाइन भी शुरु करना चाहिए।    
 
मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान बच्चों के साथ व्यवहार को लेकर ‘वेबदुनिया’ की तरफ से जो रिपोर्ट जारी की गई है वह काफी प्रशंसनीय है। हर माता पिता को उसको जरूर पढ़ना चाहिए और अपने बच्चों के साथ उसी के अनुसार व्यवहार करें तो समस्या काफी हल तक अपने आप हल हो जाएगी।

वह वेबदुनिया की पहल का स्वागत करते हुए कहते हैं कि इसमें जानकारी के साथ सभी चीजों को जिस तरह समझाया गया है वह काफी आसान है। वह कहते हैं कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए अन्य मीडिया संस्थानों को भी ठीक इसी तरह की पहल करनी चाहिए जैसा वेबदुनिया ने अपने सामाजिक सरोकारों को पूरा करते हुए किया है।