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Last Updated : गुरुवार, 29 जनवरी 2015 (15:50 IST)

आतंकियों ने आत्मसमर्पण के बहाने किया था कर्नल राय पर हमला

आतंकियों ने आत्मसमर्पण के बहाने किया था कर्नल राय पर हमला - Colonel Munindra Nath Rai
कश्मीर में शहीद हुए कर्नल मुनींद्रनाथ राय घर में छुपे आतंकियों को मुठभेड़ में मारने की बजाय जिंदा पकड़ना चाहते थे। मिंदोरा गांव में जब सेना ने घेराबंदी कर ली और घर को घेर लिया, तो उन्हें आत्मसर्मपण के लिए कहा गया। तब आतंकियों के परिजनों ने सेना से कहा कि वह हमला नहीं करे दोनों आतंकियों को आत्मसमर्पण कराया जाएगा, लेकिन बातचीत चल ही रही थी कि घर के अंदर से अचानक निकलकर आए दोनों आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। इसमें कर्नल राय और पुलिस के एक जवान को गोली लगी।

इसके बाद भी राय ने त्वरित कार्रवाई की जिसमें दोनों आतंकी ढेर हो गए। सेना मुख्यालय ने कहा कि कर्नल राय बहादुर अधिकारी थे। यह ऑपरेशन छोटा नहीं, बल्कि बटालियन स्तर की कार्रवाई थी। दरअसल, गांव में काफी नागरिक भी मौजूद थे और ऐसे में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई बेहद संवेदनशील होती है। इसलिए राय स्वयं इस ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे। घटनास्थल पर जांच करने से पता चला है कि एक घर में छुपे आतंकियों के भाई, पिता और परिजन कर्नल राय से उनके समर्पण कराने के लिए कह रहे थे, लेकिन इसी दौरान आतंकियों ने धोखे से उन पर हमला बोला। इसके परिणाम स्वरूप कर्नल राय और एक अन्य सुरक्षाकर्मी शहीद हुए।

श्रीनगर में चिनार कार्प के लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि धोखे से हमले के बावजूद कर्नल और उनकी टीम ने तेजी से कार्रवाई की। वरना कई और लोग हताहत हो सकते हैं। इसमें सैन्यकर्मियों के साथ-साथ नागरिकों की भी जान जा सकती थी। सेना मुख्यालय ने कहा कि यह बटालियन स्तर का ऑपरेशन था। इसकी कमान आमतौर पर कमांडिंग ऑफिसर कर्नल या सेकेंड इन कमांड लेफ्टिनेंट कर्नल के हाथ में रहती है। यह सिर्फ दो आतंकियों को पकड़ने तक का मामला नहीं था, बल्कि पूरे इलाके की घेराबंदी की गई थी। नागरिकों की सुरक्षा का मुद्दा भी इससे जुड़ा था।
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पिछले साल इसी प्रकार के एक ऑपरेशन में 5 दिसंबर को उरी क्षेत्र आतंकियों के साथ मुठभेड़ में लेफ्टिनेंट कर्नल संकल्प शुक्ला समेत 11 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। सेना का कहना है कि यह भी बड़ा ऑपरेशन था और सेकंड इन कमान होने के नाते शुक्ला खुद ही ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे।

बड़े अधिकारी करते हैं संवेदनशील मामलों में नेतृत्व : आतंकी हमलों में कर्नल स्तर के अधिकारियों को खोने के बावजूद सेना मुख्यालय ने साफ किया है कि वह फील्ड ऑपरेशनों को लेकर कोई संचालनात्मक मानक प्रक्रिया (एसओपी) में बदलाव नहीं करेगी।

सेना के एक अधिकारी के अनुसार यह कमांडिंग ऑफिसर पर निर्भर करता है कि वह खुद ऑपरेशन में हिस्सा ले या अपनी टीम को भेजे। मौजूदा नियमों के तहत वह खुद नेतृत्व करे ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। ऐसा भी कोई नियम नहीं है कि किसी छोटे ऑपरेशन की कमान वह अपने हाथ में नहीं ले, बल्कि जूनियर अधिकारियों को लगाए। यह अधिकारी की बहादुर और सूझ-बूझ पर निर्भर करता है।