• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Chinese leadership frightened
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 12 जून 2020 (12:33 IST)

राहुल गांधी से बोले बर्न्स, चीन के खिलाफ साथ काम करें भारत अमेरिका

राहुल गांधी से बोले बर्न्स, चीन के खिलाफ साथ काम करें भारत अमेरिका - Chinese leadership frightened
नई दिल्ली। अमेरिका के पूर्व विदेश उपमंत्री निकोलस बर्न्स ने चीन के नेतृत्व को भयभीत और अपने ही लोगों पर शिकंजा कसने वाला करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि भारत और अमेरिका बीजिंग से लड़ने के लिए नहीं, बल्कि उसे कानून के शासन का पालन कराने के लिए साथ काम कर सकते हैं।
 
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संवाद के दौरान बर्न्स ने यह भी कहा कि चीन के साथ कोई संघर्ष नहीं, बल्कि विचारों की लड़ाई है तथा भारत और अमेरिका को दुनिया में मानवीय स्वतंत्रता, लोकतंत्र और लोक शासन को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
इस दौरान राहुल गांधी ने भारत और अमेरिका में पहले जैसी सहिष्णुता नहीं होने का दावा करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच पूर्व में साझेदारी वाले संबंध थे, लेकिन अब ये लेन-देन वाले ज्यादा हो गए हैं। गांधी ने यह भी कहा कि कोविड संकट के बाद अब नए विचारों को उभरते हुए भी देखा जा सकता है।
 
बर्न्स ने कोरोना वायरस से जुड़े संकट के कारण दुनिया में शक्ति संतुलन में व्यापक बदलाव की धारणा को खारिज करते हुए कहा कि लोग कहते हैं कि चीन आगे निकलने वाला है लेकिन मैं ऐसा नहीं देखता। चीन एक बड़ी शक्ति अभी भी है। लेकिन वह अभी तक सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक रूप से अमेरिका के बराबर नहीं हुआ है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह आगे बढ़ रहा है।
 
उनके अनुसार चीन में जो कमी है, वो यह है कि वहां भारत और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देशों की तरह लचीलापन और खुलापन नहीं है। बर्न्स ने कहा कि चीन के पास एक भयभीत नेतृत्व है, जो अपने ही नागरिकों पर शिकंजा कसकर अपनी शक्ति को बनाए रखने की कोशिश करता है।
देखिए कि झिंजियांग, उइगर और हांगकांग में क्या हो रहा है? उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भारत और अमेरिका एकसाथ काम कर सकते हैं। चीन से लड़ने के लिए, बल्कि उसे कानून के शासन का पालन कराने के लिए साथ काम कर सकते हैं।
 
हॉर्वर्ड कैनेडी स्कूल के प्रोफेसर बर्न्स ने भारतीय नागरिकों के लिए एच1बी वीजा में कमी पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि इन दिनों एच1बी वीजा पर आने वालों की संख्या कम हुई है। अमेरिका के पास पर्याप्त इंजीनियर नहीं है। ये भारत से हमें मिल सकते हैं। हमें इसे प्रोत्साहित करना होगा।
 
कोरोना संकट का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह मौका था कि जी-20 मिलकर काम करते। इस संकट के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मिलकर काम करते लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बर्न्स ने कहा कि मैं आशा करता हूं कि अगला कोई ऐसा संकट आने पर हम उससे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए मिलकर काम करें।
 
गांधी ने अमेरिका में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन की पृष्ठभूमि में कहा कि मुझे लगता है कि हम एक जैसे इसलिए हैं, क्योंकि हम सहिष्णु हैं। हम बहुत सहिष्णु राष्ट्र हैं। हमारा डीएनए सहनशील माना जाता है। हम नए विचारों को स्वीकार करने वाले हैं। हम खुले विचारों वाले हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वो अब गायब हो रहा है। यह काफी दु:खद है कि मैं अब उस स्तर की सहिष्णुता को नहीं देखता, जो मैं पहले देखता था। ये दोनों ही देशों में नहीं दिख रही।
 
उन्होंने यह भी कहा कि मैं 100 प्रतिशत आशान्वित हूं, क्योंकि मैं अपने देश के डीएनए को समझता हूं। मैं जानता हूं कि हजारों वर्षों से मेरे देश का डीएनए एक प्रकार का है और इसे बदला नहीं जा सकता। हां, हम एक खराब दौर से गुजर रहे हैं। मैं कोविड के बाद नए विचारों और नए तरीकों को उभरते हुए देख रहा हूं। मैं लोगों को पहले की तुलना में एक-दूसरे का बहुत अधिक सहयोग करते हुए देख सकता हूं।
भारत और अमेरिका संबंधों पर कांग्रेस नेता ने कहा कि जब हम भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को देखते हैं तो पिछले कुछ दशकों में बहुत प्रगति हुई है। लेकिन जो साझेदारी का संबंध हुआ करता था, वो शायद अब लेन-देन का ज्यादा हो गया है। यह काफी हद तक लेन-देन को लेकर प्रासंगिक हो गया है।
 
उनके मुताबिक जो संबंध शिक्षा, रक्षा, स्वास्थ्य देखभाल जैसे कई मोर्चों पर बहुत व्यापक हुआ करता था, उसे अब मुख्य रूप से रक्षा पर केंद्रित कर दिया गया है। गांधी ने यह भी कहा कि भारतीय-अमेरिकी दोनों देशों के लिए संयुक्त रूप से महत्वपूर्ण हैं। (भाषा)