गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By सुरेश एस डुग्गर

सीजफायर उल्लंघन से बिगड़े सीमांत क्षेत्रों के हालात

सीजफायर उल्लंघन से बिगड़े सीमांत क्षेत्रों के हालात - Ceasefire violation, LOC, marginal zone
जम्मू। सीमाओं पर पाकिस्‍तानी सेना द्वारा बार-बार सीजफायर का उल्लंघन किए जाने से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। नतीजतन सीमावासियों की रातों की नींद और दिन का चैन फिर से छीन चुका है। बढ़ती गोलाबारी के कारण वे चिंता में हैं कि तारबंदी के पार के खेतों में वे फसलें बोएं या नहीं। 
 
हालांकि अप्रत्यक्ष तौर पर बीएसएफ और सेना उन्हें करने से मना करने लगी है। यही नहीं एलओसी पर पाकिस्तान की गोलाबारी से सीमांतवासियों में दहशत बरकरार है। गोलाबारी प्रभावित परिवारों के लिए बनाए गए कैंपों में रह रहे परिवारों की संख्या बढ़ रही है। गोलाबारी से क्षेत्र के कई और परिवार घर छोड़कर जिला प्रशासन के बनाए राहत शिविरों में रहने के लिए आ गए थे।
 
बार्डर पर पाक रेंजरों द्वारा सीजफायर तोड़कर गोलीबारी करने से सीमा से सटे गांवों के लोगों में दहशत है। लोग आने वाले समय के बारे में सोचकर सहम जाते हैं। आरएस पुरा के सीमावर्ती गांवों के सरवन सिंह, जरनैल सिंह व सौदागर सिंह का कहना है, जब भी बार्डर पर पाक की तरफ से गोलीबारी होती है, तो उसका असर गांव पर पड़ता है।
 
वे कहते हैं कि अभी वर्ष 1998-99 के जख्म भरे भी नहीं हैं। जीरो लाइन पर स्थित जमीनों पर जब हम फसल लगाने जाते हैं तो पता नहीं होता कि घर लौटेंगे कि नहीं। फसल पकने तक दोनों देशों का माहौल ठीक रहेगा या नहीं। पता नहीं फिर कब खेतों में माइन लगा दी जाएं और हम शरणार्थी बन जाएं। 
 
कभी परगवाल, अखनूर, कभी अब्दुल्लियां, कभी सांबा में गोलीबारी आम लोगों की नींद उड़ा रही है। आम लोग चाहे हिन्दुस्तान के पिंडी चाढ़कां, काकू दे कोठे, पिंडी कैंप के लोग हों या पाकिस्तान के वह गांव जो बार्डर के साथ लगते हैं। जैसे चारवा, बुधवाल, ठिकेरेयाला, तमाला व जरोवाल गांव के लोग कभी नहीं चाहते कि बार्डर पर फायरिंग हो। वहीं सीमावर्ती गांवों में तैनात विलेज डिफेंस कमेटी के सदस्य नरेश सिंह का कहना है कि जरा सी आहट होने पर गांववासियों की रक्षा के लिए सीना तानकर दुश्मन का सामना करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
 
आरएसपुरा, सांबा और अखनूर सेक्टर में भी आए दिन पाकिस्तानी सेना द्वारा गोलीबारी करने से सीमांत किसान काफी डरे व सहमे हुए हैं। इतना ही नहीं यदि हालात बिगड़ते हैं तो आरएसपुरा सेक्टर के कुल 28 सीमांत गांव के किसानों की हजारों एकड़ कृषि भूमि प्रभावित हो सकती है। ऐसे में सीमावर्ती गांवों के किसान भगवान से यही दुआ कर रहे हैं कि हालात सामान्य बने रहें। 
 
सीमांत गांव चंदू चक निवासी कृष्ण लाल का कहना है कि पिछले कुछ सालों से सीमा पर गोलीबारी न होने से सीमांत गांव के लोग राहत महसूस कर रहे थे। एक बार फिर से पड़ोसी देश द्वारा की जा रही फायरिंग से लोग परेशान हैं। सीमांत गांव सुचेतगढ़ निवासी सरवन चौधरी की ही तरह कई सीमावासी असमंजस में हैं कि धान की फसल की देखभाल कैसे होगी।
 
हालांकि अभी भी एलओसी से सटे कुछ गांवों के लोगों ने अपने घर नहीं छोड़े हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान राहत शिविरों में शरण लेने वाले नौशहरा के परिवारों की संख्या 839 तक पहुंच गई है। कैंपों में रह रहे 3361 लोगों में 1053 पुरुष, 1049 महिलाएं व 1263 बच्चे शामिल हैं। प्रभावितों के लिए पांच कैंप बनाए गए हैं।