बीएसएफ के 28 सिलेक्टेड कैंडिडेट्स में से 16 ने किया जाने से मना
देश की सीमा पर रक्षा करने वाले जवानों को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है, जो हैरान करने वाला है। बीएसएफ अर्थात बार्डर सिक्युरिटी फोर्स में कम लोग ही जाना चाहते हैं। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स में अधिकारियों की भारी कमी है। पिछले कुछ सालों से ऐसे हालात बनने लगे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, साल 2015 में 28 उम्मीदवारों ने यूपीएससी की परीक्षा पास की थी जोकि अर्धसैनिक बलों में रिक्त पदों के लिए आयोजित की जाती है। उन्हें 2017 में बीएसएफ में एसिसटेंट कमांडेंट की पोस्ट पर ज्वॉइन करना था। लेकिन इनमें से 16 ने जाने से मना दिया। अब शायद ही वो कभी अर्धसैनिक बल की परीक्षा में बैठ पाएं।
2016 में जिसके लिए 2014 में परीक्षा हुई थी उसमें कुल 31 लोग सिलेक्ट हुए थे जिसमें से 17 ने ही ट्रेनिंग लेनी शुरू की थी। वहीं 2013 में परीक्षा में बैठे लोगों में से 110 सिलेक्ट हुए जिसमें से 69 सिलेक्ट हुए और फिर 15 ने ट्रेनिंग के दौरान छोड़ दिया। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, बीएसएफ में वर्तमान में असिस्टेंट कमांडेंट और उससे ऊपर के कुल 5,309 पोस्ट हैं जिनमें से 522 खाली हैं।
ये कारण है: ज्यादातर कैंडिडेट ने बताया कि बीएसएफ उनकी पहली पसंद नहीं उनकी पहली पसंद सीआईएसएफ है। एक ने कहा कि CISF में शहरों में पोस्टिंग होगी, जिससे आगे की पढ़ाई भी की जा सकती है। आईएएस ऑफिसर बनना ज्यादातर का पहला लक्ष्य है। एक ने तो यहां तक कह दिया कि बीएसएफ में शीर्ष तक नहीं जाने दिया जाता है, ये भी तर्क दिया कि इसमें वेतन वृद्धि भी समय से नहीं होता।
अन्य उम्मीदवार का मानना है कि बीएसएफ, सीआरएफ और आईटीबीपी में सभी उच्च पदों पर आईपीएस अधिकारियों को ही होते हैं। एक सामान्य बीएसएफ अधिकारी बड़े पद पर नहीं पहुंच सकता। एक शख्स ने तो यह भी कहा कि लोगों की नजरों में आर्मी की इज्जत बीएसएफ के जवान से ज्यादा होती है। दूसरे ने कहा कि अपनी बेटी के लिए लड़का खोज रहे परिवार की पहली पसंद भी आर्मी वाला होता है बीएसएफ का जवान नहीं। (एजेंसी)