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Last Modified: शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2014 (19:00 IST)

भोपाल गैस त्रासदी : जानिए घटनाक्रम

भोपाल गैस त्रासदी :  जानिए घटनाक्रम - Bhopal gas tragedy, Warren Anderson
भोपाल गैस त्रासदी, आज तीस साल बीत चुके हैं उस भयानक हादसे को,  लेकिन आज भी उसके जख्‍मों को वक्‍त भर नहीं पाया है। इस त्रासदी में 3,787 लोगों की जान गई थी और हज़ारों ने इसके घातक दंश को झेला और कई साल तक झेलते रहे। इस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड के मुख्‍य प्रबंध अधिकारी वॉरेन एंडरसन रातो-रात भारत छोड़कर अपने देश अमेरिका रवाना हो गए थे। देश के लोग आज भी वॉरेन को इस त्रासदी का कसूरवार मानते हैं। दुख की बात यह है कि आज इस त्रासदी के इतने सालों बाद भी दुर्घटना का प्रकोप झेलने वाले परिवारों को पूर्ण रूप से न्‍याय नहीं मिला है। इस त्रासदी के दौरान यूनियन कार्बाइड के अध्‍यक्ष रहे चुके वॉरेन एंडरसन की 29 सितंबर को एक अस्‍पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। वे 92 वर्ष के थे।  

गौरतलब है कि 1 फरवरी 1992 को भोपाल के मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट ने वॉरेन एंडरसन को अदालत में पेश न होने पर भगौड़ा करार दिया था। 31 जुलाई 2009 को भोपाल के मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट, प्रकाश मोहन ने एंडरसन के नाम पर एक अरेस्‍ट वारंट जारी किया था।
एंडरसन के पिता स्‍वीडिश व्‍यक्‍ति थे। एंडरसन ने यूनियन कार्बाइड के सेल्‍स रिप्रजेंटेटिव के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी और वे इसी कंपनी के चेयरमेन भी बन चुके थे। 2 दिसंबर 1983 की वह रात जो विश्‍व की औद्योगिक दुर्घटनाओं के बीच सबसे भयानक घटनाओं में शामिल है घटी। एंडरसन को हजारों लोगों की मौत के जुर्म में गिरफ्तार किया गया लेकिन विवाद गहराते रहे और दुर्भाग्‍यवश उन्‍हें जमानत दे दी गई।

बहरहाल, कंपनी ने अपना बचाव करने के लिए भारत सरकार को 1986 में 470 मिलियन डॉलर की राशि का भुगतान किया था ताकि इस केस की कानूनी देयताओं को पूरा किया जा सके। एंडरसन 1982 के सुरक्षा ऑडिट को गोपनीय रखने के दोषी भी हैं। कथित रूप से उन्‍होंने प्‍लांट में सुरक्षा के लिए किए जा रहे संशोधनों का जिम्‍मा जानबूझकर यूएस प्‍लांट को सौंपा और यूएस प्‍लांट द्वारा भारतीय रसायनों का प्रयोग नहीं किया गया। एंडरसन पर कथित रूप से यह इल्‍जाम भी है, कि उन्‍होंने जानबूझकर इस भयंकर जनसंहार को अंजाम दिया था।

एंडरसन की मौत की खबर उनके परिवारजनों ने नहीं दी बल्‍कि अमेरिका के स्‍थानीय अखबारों के जरिए इसकी पुष्‍टि हुई। दुर्भाग्‍वश 3 दशकों से न्‍याय मिलने का इंतजार कर रहे और त्रासदी का प्रकोप झेल रहे परिवारों और जान गवा चुके लोगों के परिवारजन की एक आशा भी एंडरसन के साथ समाप्‍त हो गई।