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Last Modified: मंगलवार, 14 मार्च 2017 (18:14 IST)

कुछ ज्यादा ही शिकायत करती है कांग्रेस : अरुण जेटली

कुछ ज्यादा ही शिकायत करती है कांग्रेस : अरुण जेटली - Arun Jaitley, Congress, BJP
नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि गोवा के घटनाक्रम पर कांग्रेस की शिकायत बेवजह है, क्योंकि उसने राज्य में सरकार बनाने का दावा तक पेश नहीं किया। 
       
गोवा में कांग्रेस द्वारा राज्यपाल पर लोकतंत्र की हत्या करने तथा भारतीय जनता पार्टी पर जनादेश की 'चोरी' का आरोप लगाए जाने के बाद जेटली ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है, कांग्रेस पार्टी कुछ ज्यादा ही शिकायत करती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली और लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाने की कोशिश की। 
      
उन्होंने कहा कि गोवा के राज्यपाल के पास केवल मनोहर पर्रिकर ने दावा पेश किया था और उनके पास 40 में से 21 विधायकों का समर्थन है। कांग्रेस के 17 विधायक तो जीते लेकिन उसने न तो अपने विधायक दल का कोई नेता चुना और न ही सरकार बनाने का दावा किया। ऐसे में कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए कैसे आमंत्रित किया जा सकता है। 
 
जेटली ने कहा कि कांग्रेस को शिकायत करने से पहले यह सोचना चाहिए कि भाजपा के पास 21 विधायकों का समर्थन है और कांग्रेस के पास 17 विधायकों का तो ऐसे में अल्पमत की पार्टी को सरकार बनाने के लिए कैसे बुलाया जा सकता है। 
           
उन्होंने कहा कि गोवा में लोगों ने त्रिशंकु जनादेश दिया है। इस तरह के जनादेश में चुनाव पश्चात गठबंधन होते ही हैं। भाजपा ने यह गठबंधन करते हुए राज्यपाल को 21 विधायकों के समर्थन की सूची सौंपी। ये विधायक राज्यपाल के समक्ष पेश हुए और उन्होंने समर्थन का पत्र भी सौंपा। कांग्रेस को केवल 17 विधायकों का समर्थन है और उसने सरकार बनाने का दावा भी पेश नहीं किया। कांग्रेस बेवजह इस फैसले का विरोध कर रही है और इसे लोकतंत्र की हत्या बता रही है। 
  
उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन ने मार्च 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने के लिए बुलाते समय अपने आधिकारिक संदेश में सबसे बड़ा दल बनाम गठबंधन दल के बारे में कहा था, जब किसी दल या चुनाव पूर्व गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो राष्ट्राध्यक्ष चाहे वह भारत में हो या किसी और देश में, उस पार्टी या गठबंधन के नेता को पहला अवसर देता है जिसने सबसे ज्यादा सीट जीती हो लेकिन इसके साथ यह शर्त होती है कि इस तरह से नियुक्त प्रधानमंत्री को निर्धारित समय में सदन में बहुमत सिद्ध करना होता है।  
 
साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि यह निश्चित फार्मूला नहीं हो सकता, क्योंकि ऐसी भी स्थिति उत्पन्न हो सकती है जिसमें अन्य दलों के सांसदों की संख्या सबसे बड़े दावेदार से अधिक हो। राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री की निुयुक्ति में इस पद के लिए दावा करने वाले नेता के बहुमत के समर्थन के दावे को ध्यान में रखना होता है। 
         
जेटली ने कहा कि इससे पहले भी दिल्ली, झारखंड, जम्मू कश्मीर, राजस्थान तथा हरियाणा में कई बार इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई है। त्रिशंकु जनादेश के इन मामलों में बहुमत हासिल करने में असफल रहे सबसे बड़े दल के बजाय कुछ दलों के गठबंधन के नेता को सरकार बनाने के लिए बुलाया गया है। (वार्ता)
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