मंगल ग्रह पर भी बजा भारत का डंका, मंगलयान रहा कामयाब
बेंगलुरु। भारत ने आज को चीन और जापान को पछाड़ते हुए अंतरिक्ष की दुनिया में एक नया इतिहास रच दिया है। भारत का महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियान मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर मिशन) बुधवार को मंगल की कक्षा में सफलता पूर्वक स्थापित किया जा चुका है। इसके साथ ही भारत दुनिया का चौथा और एशिया का पहला देश बन गया है जिसने यह सफलता हासिल की है। भारत पहली ही कोशिश में ऐसा इतिहास रचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका की 6 कोशिशे नाकामयाब रही है।
इस ऐतिहासिक क्षण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेंगलुरु के मार्स मिशन कमान्ड एंड कंट्रोल सेंटर में मौजूद रहे। मंगलयान की सफलता पर मोदी ने वैज्ञनिकों को बधाई दी। वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो सेंटर में मौजूद हैं। मोदी ने वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि हमारे देश ने मंगल को उनकी 'मां' से मिला दिया है। यहां आकर मुझे काफी गर्व हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज वैज्ञानिकों और देश के लिए गर्व करने का दिन है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहले ही प्रयास में हमारे वैज्ञानिकों ने सफलता प्राप्त की है। आज इतिहास रचा गया। साधन बहुत कम और अनेक मुश्किलें, इसके बावजूद इतनी बड़ी सफलता। इस सफलता के असली हकदार देश के वैज्ञानिक हैं। मंगल हमसे करीब 650 मिलियन किलोमीटर दूर है, इतना लंबा सफर। जिस धैर्य के साथ ऐसा हो पाया वो सराहनीय है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब काम मंगल होता है, इरादे मंगल होते हैं, तो मंगल की यात्रा भी मंगल होती है।
भारत ने इस उपलब्धि के मामले में अमेरिकी एजेंसी नासा और यूरोपीय एजेंसी को भी मात दे दी है। मंगलयान को ग्रह की कक्षा में दाखिल कराने के लिए पहले इसका लिक्विड इंजन शुरू किया गया। मिशन की कामयाबी के साथ ही भारत अमेरिका, रूस, यूरोप की श्रेणी में आ खड़ा हुआ है, जो पहले इससे मंगल ग्रह तक अपने यान भेजने में कामयाब हुए हैं। भारत की यह सफलता भविष्य में मंगल ग्रह के लिए मानव मिशन शुरू करने की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।
सबसे कम खर्च में अंतरिक्ष तक पहुंचने का मंगलयान ने एक रिकॉर्ड बना दिया है और अब यह मंगल की कक्षा में दाखिल होकर एक दूसरा रिकॉर्ड बना दिया है। भारतीय वैज्ञानिकों की कामयाबी की मिसाल तो देखिए कि बेहद कम बजट में भारत के मिशन को पंख लगा दिए। भारत का मंगल मिशन सिर्फ 450 करोड़ के बजट में तैयार हुआ है। जबकि नासा का भेजा मैवन उपग्रह इससे दस गुने बजट में मंगल पर भेजा गया है। करोड़ रुपए की लागत से तैयार मंगलयान को पिछले साल पांच नवंबर को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण स्थल से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी-25 के जरिए प्रक्षेपित किया गया था।
बेहद जटिल इस मार्स आर्बिटर मिशन (एमओएम) को अंजाम तक पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों ने सोमवार को इसके तरल इंजन का परीक्षण किया था। यान पर लगे 440 न्यूटन लिक्विड एपोगी मोटर इंजन को तय कार्यक्रम के मुताबिक करीब चार सेकंड तक चलाया और यान की दिशा को भी दुरुस्त किया गया।
इस मिशन के कामयाब होते ही भारत मंगल की कक्षा में उपग्रह स्थापित करने वाला एशिया का पहला और दुनिया का चौथा देश बन गया है। अभी तक केवल अमेरिका, रूस और यूरोपीय यूनियन को ही यह उपलब्धि प्राप्त है। जापान और चीन ने भी मंगल की ओर अपने उपग्रह भेजे थे, लेकिन वे अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाए। चीन का उपग्रह पृथ्वी के गुरुत्वार्कषण से बाहर नहीं निकल पाया था।
मंगलयान को 05 नवंबर 2013 को श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) सी 25 द्वारा प्रक्षेपित किया गया है। प्रक्षेपण के 44 मिनट बाद ही यान पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया था। (एजेंसियां)
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