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Last Modified: मंगलवार, 8 अप्रैल 2025 (15:13 IST)

अमित शाह का दावा, 3 और समूहों ने हुर्रियत से खुद को अलग किया

amit shah
Amit Shah news in hindi : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को दावा किया कि जम्मू कश्मीर में 3 और अलगाववादी- गठबंधन संगठनों ने हुर्रियत कांफ्रेंस से खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने इसे कश्मीर के भीतर भारतीय संविधान में बढ़ते भरोसे का एक मजबूत संकेत बताया।
 
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में अमित शाह ने लिखा, जम्मू कश्मीर इस्लामिक पालिटिकल पार्टी, जम्मू कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग और कश्मीर फ्रीडम फ्रंट जैसे 3 और संगठनों ने हुर्रियत से खुद को अलग कर लिया है। यह कश्मीर के भीतर भारत के संविधान में लोगों के भरोसे का एक प्रमुख प्रदर्शन है।
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एकजुट और शक्तिशाली भारत के विजन को और भी बल मिला है क्योंकि 11 ऐसे संगठन अब अलगाववाद से दूर हो गए हैं और भारतीय संघ को समर्थन दिया है।
 नवीनतम घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक सामान्य स्थिति और लोकतांत्रिक ढांचे में बढ़ी हुई भागीदारी का वादा कर रही है।
 
3 वरिष्ठ अलगाववादी नेता मोहम्मद यूसुफ नकाश, हकीम अब्दुल रशीद और बशीर अहमद अंद्राबी ने सार्वजनिक रूप से अलगाववाद को त्याग दिया और हुर्रियत कांफ्रेंस के विभिन्न धड़ों से खुद को अलग कर लिया। ये तीनों नेता मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले हुर्रियत धड़े से संबंधित थे। मोहम्मद यूसुफ नकाश जम्मू कश्मीर इस्लामिक पालिटिकल पार्टी के प्रमुख थे, हकीम अब्दुल रशीद जम्मू कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग के अध्यक्ष थे, जबकि बशीर अहमद अंद्राबी कश्मीर फ्रीडम फ्रंट का नेतृत्व करते थे।
 
इन नेताओं ने अलग-अलग लेकिन लगभग एकसमान बयानों में भारत के संविधान के प्रति अपनी निष्ठा जताई और अलगाववादी एजेंडे से खुद को पूरी तरह अलग कर लिया।
 
जानकारी के लिए आल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस (APHC) का गठन 1993 में कश्मीर में उग्र आतंकवाद के दौर में हुआ था। यह संगठन संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर कश्मीर मुद्दे के समाधान की वकालत करता थां अपने शुरुआती दिनों में एपीएचसी 20 से अधिक राजनीतिक, धार्मिक, व्यापारिक और नागरिक समाज संगठनों का एक समूह था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इसकी प्रासंगिकता और प्रभाव में कमी आई है, और अब इसके कई सहयोगी संगठन और नेता इससे किनारा कर रहे हैं।
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