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Last Modified: मुंबई , बुधवार, 5 सितम्बर 2018 (19:55 IST)

वायुसेना को राफेल का इंतजार, कहा-जबर्दस्त है...

वायुसेना को राफेल का इंतजार, कहा-जबर्दस्त है... - Airforce Rafale
मुंबई। राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर मचे बवाल के बीच वायुसेना ने कहा है कि यह ताकतवर विमान है और वायुसेना उत्सुकता के साथ इसका इंतजार कर रही है।
 
वायुसेना उपप्रमुख एयर मार्शल एसबी देव ने एक कार्यक्रम से इतर सवालों के जवाब में कहा है कि यह जबरदस्त विमान है और इसकी क्षमता बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि हमें इसकी जल्द जरूरत है और हम इसका उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि इस सौदे से संबंधित ऑफसेट के बारे में जानने के लिए रक्षा खरीद नीति को पढ़ने की जरूरत है। राफेल को लेकर जो बात उठ रही है, वह जानकारी के अभाव में उठ रही है। तेजस विमानों की आपूर्ति में हो रही देरी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वायुसेना को विमानों की जल्द जरूरत है।
 
सार्वजनिक क्षेत्र बनाए या निजी क्षेत्र बात यह है कि वायुसेना को विमान समय पर मिलने चाहिए और यदि इनका पैसा देश में ही रहता है भले ही वह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के पास रहे या निजी क्षेत्र के पास तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है।
 
एयर मार्शल देव का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब कांग्रेस राफेल विमानों के सौदे को लेकर सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी खुद इस अभियान की बागडोर संभाले हुए हैं और उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा है कि उन्होंने इस सौदे में अपने उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाया है।
 
कांग्रेस ने लगाया दोहरे मापदंड का आरोप : कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान खरीद और रूस के साथ एके-103 राइफल खरीद सौदे में दोहरा मापदंड अपना रही है। उसे बताना चाहिए कि किस सौदे में रक्षा खरीद नियमों का उल्लंघन किया गया है।
 
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बुधवार को कहा कि मीडिया की खबरों के अनुसार रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने सेना के लिए 3000 करोड़ रुपए के एके-103 राइफल सौदे में निजी कंपनी को ऑफसेट ठेका देने से रूस के अनुरोध को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि यह दो सरकारों के बीच हुआ सौदा है और इसमें निजी कंपनी को ऑफसेट को काम देने की इजाजत नहीं है। रूस को यह भी बताया गया कि रक्षा खरीद नियमों के तहत सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ही इसके लिए अधिकृत है। निजी कंपनी को इसमें सहयोगी बनना है तो इसके लिए अलग से निविदा भरनी पड़ेगी।
 
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को बताना चाहिए कि जिन नियमों का हवाला देकर उसने रूस को एके-103 राइफलों का ऑफसेट ठेका निजी कंपनी को देने से इनकार किया है। क्या रक्षा सौदा खरीद का यह नियम राफेल लड़ाकू विमान सौदे में लागू नहीं होता है।
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