नरेन्द्र मोदी सरकार का लेखा-जोखा...
नई दिल्ली। हालांकि यह बहुत जल्दबाजी होगी कि सिर्फ पांच दिन की सरकार के कामकाज की समीक्षा की जाए, लेकिन इन दिनों में सरकार ने क्या किया इसका लेखा-जोखा तो रखा ही जा सकता है। आइए देखते हैं वे कौनसे काम रहे, जिनके जरिए सरकार ने लोगों का दिल जीतने की कोशिश की, वहीं कुछ चीजें ऐसी भी रहीं जो लोगों के गले नहीं उतरीं। * प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अब देश और समाज के बांटने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन आरोपों के विपरीत मोदी ने हिन्दू और मुसलमान की बाज करने के बजाय 125 करोड़ भारतीयों की ही बात की। * सम्मान का भाव : नरेन्द्र मोदी ने बुजुर्गों और संसद के प्रति सम्मान का भाव भी प्रस्तुत किया। संसद की सीढ़िया चढ़ते से पहले उन्होंने वहां माथा टेका तो अंदर जाकर बुजुर्ग नेता लालकृष्ण आडवाणी का आशीर्वाद लिया। एक और बुजुर्ग नेता जसवंतसिंह (सिंह ने बागी होकर बाड़मेर सीट से भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ा था) को भी पत्र लिखकर उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित किया और कहा कि उनके मार्गदर्शन की आवश्यकता रहेगी। * शपथ समारोह वाले दिन उन्होंने अपने दिन की शुरुआत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर जाकर की, जबकि संघ परिवार पर गांधीजी हत्या के आरोप भी लगते रहे हैं।* दक्षेस देशों के नेताओं को शपथ समारोह में बुलाकर अच्छी कूटनीति का परिचय दिया। शपथ के साथ ही पड़ोसी देशों से संबंध बढ़ाने पर जोर दिया। इसी के चलते पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी भारत आना पड़ा।* श्रीलंका के राष्ट्रपति महिन्दा राजपक्षे से बातचीत में भी तमिलों के मुद्दे को उठाया।* पाक प्रधानमंत्री शरीफ से आतंकवाद समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की साथ ही उन्हें संदेश भी दिया बातचीत और आतंकवाद दोनों चीजें साथ-साथ नहीं चल सकतीं।
इन बातों से मोहा सबका मन...
* विदेशों से काला धन लाने के लिए बड़ी पहल। एसआईटी का गठन।* मंत्रियों को भाई-भतीजावाद से बचने की नसीहत के साथ खर्च कम करने की भी सलाह।* मोदी की सादगी की पहल के चलते चार मंत्रियों- अरुण जेटली, स्मृति जोशी, नितिन गडकरी, मेनका गांधी ने चार मंत्रियों ने भी छोड़ा लाल बत्ती का मोह।* वाराणसी के लोगों से किया वादा निभाया, शुरू किया गंगा सफाई अभियान। गंगा सफाई के लिए अलग से मंत्रालय बनाया और इसकी जिम्मेदारी गंगा शुद्धिकरण का झंडा बुलंद करने वाली साध्वी उमा भारती को सौंपा।* सक्रिय दिखे मंत्री, दिखाई एकजुटता। मोदी का मंत्रियों के बीच समन्वय पर विशेष जोर। * रुपया बढ़ा, निर्यात को बढ़ावा। और काम करने के लिए बनाया 10 सूत्रीय एजेंडा...
1. नौकरशाहों का मनोबल बढ़ाना होगा ताकि वे नतीजों से न डरें।
2. नए विचारों का स्वागत किया जाए और अधिकारियों को काम करने की छूट दी जाए।
3. शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी, बिजली जैसी मूलभूल सुविधाओं पर विशेष ध्यान।
4. सरकार में पारदर्शिता की बात कही गई और साथ ही ई-नीलामी को बढ़ावा दिया जाएगा।
5. मंत्रालयों में आपसी समन्वय कायम किया जाए।
6. जनता की उम्मीदें पूरा करने पर विशेष ध्यान दिया जाए।
7. अर्थव्यस्था से जुड़ी चुनौतियों से निपटना।
8. इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारना और निवेश को बढ़ाना देना।
9. नीतियों पर तय समयसीमा में अमल करना।
10. सरकारी नीतियों में स्थायित्व की बात।
अगले पन्ने पर... यहां नहीं छोड़ पाए प्रभाव...
इसमें कोई संदेह नहीं कि मोदी की केन्द्र में पारी की शुरुआत अच्छी रही, लेकिन विवादों ने भी पीछा नहीं छोड़ा। कुछ ऐसे भी मामले रहे जिसके चलते सरकार के नंबर भी कम हुए।
* कम शिक्षित स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय सौंपने का विरोध।
* जम्मू-कश्मीर कोटे से चुने गए मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने धारा 370 को हटाने का राग छेड़कर मधुमक्खी के बर्रे में हाथ डाला। इसका कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और डॉ. कर्णसिंह तक ने विरोध किया।
* गठबंधन पर नहीं चढ़ा मोदी का रंग, शिवसेना सांसद और कैबिनेट मंत्री अंनत गीते नाराज। हालांकि आश्वासन के बाद गीते ने कार्यभार संभाल लिया।
* मंत्रियों की जुबान पर लगाम नहीं, अब भी कर रहे हैं विपक्षियों की तरह बात।
* अध्यादेश पारित कर बनाया नृपेन्द्र मिश्रा को प्रधान सचिव।
* महंगाई पर सबकी नजर, बड़ी घोषणा का इंतजार।
* नजमा हेप्तुल्लाह का बयान, मुस्लिमों को आरक्षण की जरूरत नहीं।