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Written By राजश्री कासलीवाल

यूपी में क्यों मनाई जाती है नागपंचमी के त्योहार पर गुड़िया पीटने की परंपरा, पढ़ें अनूठी कथाएं...

यूपी में क्यों मनाई जाती है नागपंचमी के त्योहार पर गुड़िया पीटने की परंपरा, पढ़ें अनूठी कथाएं... - nag panchami gudiya festival 2018
प्रतिवर्ष भारतभर में श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। उत्तरप्रदेश (यूपी) में इस दिन एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। वहां इस दिन गुड़िया को पीटने की अनूठी परंपरा निभाई जाती है। इस सबंध में इसके पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं, ऐसा माना जाता है।

 
जैसा कि हम सभी ने किसी न किसी को यह कहते हुए कहीं-न-कहीं अवश्य ही सुना होगा कि 'महिलाओं के पेट में बात नहीं पचती' और यही कहावत नागपंचमी के दिन गुड़िया पीटने की परंपरा के पीछे भी है। आप नहीं जानते होंगे कि गुड़िया को पीटना अपने आप में कुछ अनूठा-सा है, लेकिन इसके पीछे की कहानी महिलाओं से जुड़ी होने के कारण नागपंचमी के त्योहार पर उत्तरप्रदेश में गुड़िया पीटने की एक पौराणिक परंपरा चली आ रही है।

 
इस संबंध में प्रचलित कथा के अनुसार तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मौत हो गई थी। कुछ समय बाद तक्षक की चौथी पीढ़ी की बेटी/कन्या की शादी राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी में हुई। जब वह शादी करके ससुराल में आई तो उसने यह राज एक सेविका को बता दिया और उससे कहा कि वह यह बात किसी से न कहें, लेकिन सेविका से रहा नहीं गया और उसने यह बात किसी दूसरी महिला को बता दी।
 
इस तरह बात फैलते-फैलते पूरे नगर में फैल गई। इस बात से तक्षक के राजा को क्रोध आ गया और क्रोधित होकर उसने नगर की सभी लड़कियों को चौराहे पर इकट्ठा होने का आदेश देकर कोड़ों से पिटवाकर मरवा दिया। उसके पीछे राजा को इस बात का गुस्सा था कि 'औरतों के पेट में कोई बात नहीं पचती'। माना जाता है कि तभी से गुड़िया पीटने की परंपरा मनाई जा रही है।

 
भाई-बहन की कहानी से जुड़ी हुई है गुड़िया पीटने की परंपरा की यह दूसरी कथा-
 
एक अन्य कहानी के अनुसार एक लड़की का भाई भगवान भोलेनाथ का परम भक्त था और वह प्रतिदिन मंदिर जाता था। उस मंदिर में उसे हर रोज 'नाग' देवता के दर्शन होते थे। वह लड़का हर दिन नाग देवता को दूध पिलाने लगा और धीरे-धीर दोनों में प्रेम हो गया। नाग देवता को उस लड़के से इतना प्रेम हो गया कि वो उसे देखते ही अपनी मणि छोड़ उसके पैरों में लिपट जाता था।

 
इसी तरह एक दिन श्रावण के महीने में दोनों भाई-बहन एकसाथ मंदिर गए। मंदिर में जाते ही 'नाग' देवता लड़के को देखते ही उसके पैरों से लिपट गया और बहन ने जब यह नजारा देखा तो उसके मन में भय उत्पन्न हुआ। उसे लगा कि नाग उसके भाई को काट रहा है। तब लड़की ने भाई की जान बचाने के लिए नाग को पीट-पीटकर मार डाला।
 
इसके बाद जब भाई ने पूरी कहानी बहन को सुनाई तो वह रोने लगी। फिर वहां उपस्थित लोगों ने कहा कि 'नाग' देवता का रूप होते हैं इसीलिए तुम्हें दंड तो मिलेगा, चूंकि यह पाप अनजाने में हुआ है इसलिए कालांतर में लड़की की जगह गुड़िया को पीटा जाएगा। इस तरह गुड़िया पीटने की परंपरा शुरू हुई।