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क्यों न थोड़ी सी जागरूकता अपनाएं और छोटी-मोटी मानसिक बीमारियों से निजात पा लें

क्यों न थोड़ी सी जागरूकता अपनाएं और छोटी-मोटी मानसिक बीमारियों से निजात पा लें - world mental health day 10 October
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार आज भारत में अनगिनत लोग मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। आज भी लोग अपनी मानसिक समस्या के बारे में बात करने से डरते हैं, उन्हें लगता है कि लोग उन्हें समझेंगे नहीं या वे हंसी के पात्र बन जाएंगे। ऐसा इसलिए है कि आज भी मानसिक बीमारी के प्रति समाज पूरी तरह से जागरूक नहीं है।

आज भी समाज में मानसिक बीमार व्यक्ति को हीन भावना से देखा जात है, चाहे उसे कोई छोटी सी ही समस्या क्यों न हो, लेकिन उसे पागल की ही उपाधि दे दी जाती है। इसी डर से व्यक्ति खुद और उसके परिवार वाले इन समस्याओं का किसी से जिक्र नहीं करते, जिस वजह से मानसिक समस्याएं आगे जाकर और भी बढ़ जाती है।

दरअस्ल मानसिक बीमारी के कई प्रकार होते हैं और इसकी जानकारी अधिकतर लोगों को नहीं होती। मानसिक बीमार होने का मतलब केवल पागल होना ही नहीं होता है। यह समझने के लिए आपको जानना होगा कि मानसिक बीमारियां कई ऐसे कारणों से भी सकती हैं जिन पर यदी वक्त रहते ध्यान दिया जाए तो वे आसानी से दूर हो सकती है।
 
मानसिक बीमारी क्या है?
 
कई बार यह बेहद मामूली वजह से भी हो सकती है वहीं कई बार कोई पुरानी घटना या यादें जिसका व्यक्ति को गहरा सदमा लगा हो भी वजह हो सकती है। ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति थोड़ा असामान्य (व ज्यादा इसका स्तर अलग-अलग हो सकता है) व्यवहार करने लगता है। उसे सही-गलत का फर्क नहीं समझ आ पाता और वह सामाजिक वातावरण के साथ तालमेल नहीं बैठा पाता।
 
आइए, जानते हैं ऐसी ही कुछ परिस्थितियों के बारे में जिनके डर व सदमे से भी व्यक्ति मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो सकता हैं - 
 
1. बचपन में कोई हादसा : यदि व्यक्ति के बचपन में कोई दुखद घटना घटी हो जैसे प्रियजन की अचानक मौत, या व्यक्ति के स्वयं के साथ कोई नकरात्मक घटना घटी हो जैसे उसका मानसिक व शारीरिक शोषण, तब आगे जाकर ऐसा व्यक्ति असामान्य व्यवहार कर सकता है।
 
2. बचपन में माता-पिता का जरूरी प्यार न मिल पाना : कई बार पेरेंट्स बच्चों को समय नहीं दे पाते या बड़े बच्चे पर ध्यान देना कम कर देते हैं और जाने-अनजाने उनका सारा दुलार केवल छोटे बच्चे को मिलता हैं। ऐसे में बड़ा बच्चा अकेला महसूस करने लगता है और उसमें आत्मविश्वास की कमी होने लगती है। ऐसे बच्चे बड़े होकर, बाहरी व्यक्ति पर भरोसा करने लगते है और उनका समय और प्यार ढूंढ़ने लगते हैं, यदी उन्हें वहां से भी धोखा मिल गया तो ऐसे इंसान का व्यवहार भी असामान्य हो सकता है और उन्हें दूसरों से रिश्ता बनाने व सामंज्यस बैठने में परेशानी होती है।
 
3. माता-पिता का अत्यधिक सख्त व्यवहार : कई पेरेंट्स बच्चों को सही रास्ते पर लाने के लिए जरूरत से ज्यादा स्क्ती से पैश आने लगते हैं, बच्चों को बात-बात पर सजा देते हैं, मारते-डांटते हैं। ऐसे बच्चों में हमेशा के लिए अदंर से एक डर पैदा हो जाता हैं। वे बड़े होकर भी किसी नए काम को करने से डरते हैं और असामान्य व्यवहार कर सकते हैं या कई मामलों में व्यवहार तो सामान्य कर लेते हैं, लेकिन मानसिक रूप से बीमार होते है।
 
4. माता-पिता का अत्यधिक पॉसेसिव व्यवहार : कई माता-पिता बच्चों की हर सही-गलत इच्छा पूरी करते हैं, उन्हें किसी चीज की कोई कमी नहीं आने देते। ऐसे बच्चों ने अपने माता-पिता के घर में रहते हुए कभी किसी चीज के लिए 'ना' नहीं सुना होता। जब ये बच्चे बड़े होकर घर के दायरे से बाहर निकलते हैं जैसे कॉलेज, ऑफिस, प्रेम सबंध व शादी होने पर यदी इनकी कोई मांग पूरी न हो तो इनका व्यवहार असामान्य हो सकता हैं।

 
5. इनके अलावा भी छोटी-मोटी मानसिक बीमारियों के कई कारण हो सकते हैं, मानसिक बिमार होने की कोई उम्र नहीं होती, लेकिन इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। कई बार ये जीवन में अचानक आई परिस्थिति की उपज भी हो सकती है जैसे शादी टुटना, डाइवोर्स हो जाना, अपने जवान बच्चों की असमय मौत, पति या पत्नि की असमय मौत आदि।