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Written By Author संजय सिन्हा

पूरा हुआ ममता बनर्जी का सिंगूर-मिशन

पूरा हुआ ममता बनर्जी का सिंगूर-मिशन - Mamata Banerjee, mission Singur, West Bengal Chief Minister
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सिंगूर-मिशन आखिरकार पूरा हुआ। सिंगूर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने किसानों को जमीनों का मालिकाना हक और मुआवजा राशि प्रदान की। मुख्यमंत्री ने 9,117 किसानों को जमीन का मालिकाना हक और 806 किसानों को मुआवजे की राशि प्रदान की। 
दरअसल, 806 किसानों ने मुआवजे की राशि नहीं ली थी लिहाजा उन्हें यह राशि दी गई। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिंगूर के किसानों को एकमुश्त 10 हजार रुपए दिए जाने की घोषणा भी की ताकि किसान अपनी जमीनों पर खेती कर सकें।
 
ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार खेती और उद्योग दोनों को एकसाथ विकसित करना चाहती है। उद्योगों के लिए वे कृषि को किसी भी कीमत पर प्रभावित नहीं कर सकती हैं। किसानों का दमन करके उद्योगों का विकास संभव नहीं है। 
 
ममता बनर्जी ने कहा कि हमने लैंड बैंक बनाया है। गोआलतोड़ में सरकार के पास 1,000 एकड़ जमीन है। टाटा अगर चाहे तो यहां इंडस्ट्री लगा सकती है। उन्होंने टाटा सहित कई ऑटोमोबाइल कंपनियों को यहां उद्योग लगाने का आमंत्रण दिया है, लेकिन कृषियोग्य एवं गरीब किसानों की जमीनों पर इंडस्ट्री नहीं लगेगी।
 
उन्होंने बताया कि सिंगूर के किसानों को कृषि के उपकरण भी किराए पर दिए जाएंगे ताकि वे सफलतापूर्वक कृषि का उत्पादन कर सकें। वेस्ट बंगाल एग्रो डेवलपमेंट डिपार्टमेंट द्वारा यहां हायरिंग सेंटर भी बनाया जाएगा, जहां से किसान किराए पर उपकरण ले सकेंगे। उपकरण खरीदे भी जा सकते हैं। इसके लिए सरकार की ओर से 24 लाख तक के लोन का इंतजाम किया जाएगा।
 
सिंगूर आंदोलन के बाद ही ममता बनर्जी की छवि को एक नया आयाम मिला। किसानों के साथ-साथ प्रदेश की जनता के मन में भी प्रभाव छोड़ गईं ममता और 2011 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 'ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस' को भारी सफलता मिली।
 
उनके आंदोलन का मुख्य बिंदु था कि सिंगूर में किसानों की जमीन पर उद्योग स्थापित नहीं होगा। आखिरकार उनका आंदोलन सफल हुआ और टाटा को यहां से वापस जाना पड़ा। 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने किसानों से जमीन लौटने का वादा किया था। सत्ता में आने के बाद उन्होंने किसानों की जमीनें लौटाने के लिए प्रशासनिक कदम उठाए और इसे लेकर अदालत में चुनौती भी दी। 
 
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2016 को फैसला सुनाया कि सिंगूर में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में खामी थी। इसके साथ ही अदालत ने 12 हफ्ते के अंदर किसानों को जमीनें लौटाने का निर्देश दिया। इस फैसले के साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लड़ाई को एक अमली-जामा मिला। इससे किसानों और प्रदेश के लोगों के बीच उनकी छवि और मजबूत हो गई है। 
 
मुख्यमंत्री ने इस संवाददाता को बताया कि प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को 'सिंगूर दिवस' मनाया जाएगा और सिंगूर में एक शहीद स्मारक भी बनाया जाएगा ताकि इस आंदोलन में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी जा सके।
 
इस मामले पर विपक्ष का कहना है कि किसानों को जमीनें तो लौटा दी गई हैं लेकिन उन जमीनों को कृषियोग्य बनने में बहुत समय लगेगा। ये जमीनें पहले बहुत उपजाऊ थीं लेकिन टाटा द्वारा लिए जाने के बाद औद्योगिक दृष्टिकोण से यहां रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल किया गया। इस वजह से जमीनें खराब हो गईं, लिहाजा इसे कृषियोग्य बनाने में काफी समय लगेगा। ये भी संभव है कि इन जमीनों पर धान का उत्पादन नहीं हो पाए। कृषि विशेषज्ञों ने भी इसकी तसदीक की है, लिहाजा किसानों की पेशानी पर चिंता की रेखाएं भी हैं। अब देखना ये है कि इन जमीनों को कब तक पैदावार लायक बनाया जा सकेगा। 
 
सिंगूर को इको पार्क का भी तोहफा 
कोलकाता के बाद राज्य सरकार ने सिंगूर को 'इको पार्क' का तोहफा भी दिया। किसानों को जमीनों के पर्चे और मुआवजा राशि का चेक दिए जाने के साथ-साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यहां इको पार्क का उद्घाटन भी किया। 
 
'सिंगूर विजय दिवस' पर इसका उद्घाटन हुआ। 'महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण कर्म योजना' के तहत 84 लाख की लागत से सिंगूर के बलरामपुर गांव में इसका निर्माण कराया गया है। 900 फुट लंबे और 30 फुट चौड़े इस पार्क में तरह-तरह के फूलों के पेड़ लगाए गए हैं, साथ ही कुछ औषधि वाले वृक्ष भी लगाए गए हैं। इसके साथ ही बच्चों के लिए भी झूले एवं खेलकूद के उपकरण भी लगाए गए हैं। 
 
मुख्यमंत्री के मुताबिक स्थानीय पंचायत इसकी देखभाल करेगी।
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