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Written By Author सुशोभित सक्तावत
Last Modified: मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017 (15:39 IST)

गुरमेहर प्रकरण : दो मिनट का मौन

गुरमेहर प्रकरण : दो मिनट का मौन - गुरमेहर प्रकरण : दो मिनट का मौन
भारत विचित्र देश है। तर्कसंगति यहां सर्वाधि‍क असंभव विचार है। तथ्य तो कल्पना है। महत्व केवल अमूर्त संवेगों और भावनात्मक अपील का है, जिसके आधार पर मनचाहे निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं।
मौजूदा हाल में भी ऐसा ही नज़र आ रहा है। हद्द तो यह है कि किसी का बचाव भी अगर करना हो तो उसके पक्ष में बड़ी बेतुकी बातें कही जाती हैं, जिनमें "सबऑर्डिनेट सेंटेंस स्ट्रक्चर" के तहत दो वाक्यों की "युति" में उन दोनों वाक्यों की आपस में कोई संगति नहीं होती! पहला वाक्य अगर "अ" के संदर्भ में है तो दूसरा वाक्य "ब" के संदर्भ में हो सकता है और इन दोनों को मिलाकर "स" के पक्ष में निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। "लॉजिकल कहरेंस" से हमारी शत्रुता है।
"स्थापना", "निष्कर्ष" और "कुतर्क" की इस त्रयी के माध्यम से इस विडंबना को इस तरह समझा जा सकता है :
 
स्थापना : वो केवल 22 साल की है।
निष्कर्ष : इसलिए वो सही है। 
कुतर्क : जो कमउम्र होता है वो सही होता है, जैसे बम्बई हमले के समय कसाब 21 का था, इसलिए वो सही था।
स्थापना : वो बेटी है। 
निष्कर्ष : इसलिए वो सही है।
कुतर्क : जो बेटी होती है, वो सही होती है। माया कोडनानी भी बेटी थी, इसलिए वो सही थी।
स्थापना : उसे धमकियां दी जा रही हैं।
निष्कर्ष : इसलिए वो सही है।
कुतर्क : जिसे धमकियां दी जाती हैं, वह सही होता है। अमरीका ने अलक़ायदा को धमकाया था, इसलिए अलक़ायदा सही है।
स्थापना : वह शांति चाहती है। 
निष्कर्ष : इसलिए वो सही है।
कुतर्क : शांति एक संपूर्ण अवधारणा है और वह हमेशा सही होती है। भगत सिंह शांति नहीं चाहते थे। इसलिए वे ग़लत थे। लेनिन संघर्ष कर रहे थे। इसलिए ज़ारशाही सही थी। फ़लस्तीनी इज़रायल के साथ संघर्ष कर रहे हैं। इसलिए इज़रायल सही है।
स्थापना : वह युद्ध विरोधी है। 
निष्कर्ष : इसलिए वो सही है।
कुतर्क : ऐतिहासिक अन्याय जैसा कुछ नहीं होता। "एग्रेशन" और "प्रोवोकेशन" जैसा कुछ नहीं होता। संप्रभुता नहीं होती। राष्ट्र नहीं होता। भूगोल नहीं होता। केवल "युद्ध" होता है। 1948, 1965, 1971, 1999 में युद्ध "हुआ" था। किसी ने वह युद्ध "किया" नहीं था। या बेहतर हो अगर कहें कि युद्ध ने पाकिस्तान और भारत किया था। भारत और पाकिस्तान ने युद्ध नहीं किया था। और युद्ध की पहल युद्ध द्वारा की गई थी, युद्ध की पहल पाकिस्तान द्वारा नहीं की गई थी।
इसलिए वो सही है!
 
जिसे कि अंग्रेज़ी में कहते हैं : RIP, Logic!
भारतवर्ष के बुद्ध‍िजीवियों को तर्कसंगति के इस दु:खद अवसान पर दो मिनट का मौन रखना चाहिए।