मंगलवार, 17 सितम्बर 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. »
  3. पर्यटन
  4. »
  5. पहाड़ों की गोद में
Written By WD

पर्वतों की रानी 'मसूरी'

पर्वतों की रानी ''मसूरी'' -
WDWD
नवगठित उत्तरांचल राज्यका पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्व है। इस नए राज्य में प्राकृतिक सुंदरता जहां-तहां बिखरी पड़ी है। यह प्रदेश 2 भागों में बंटा हुआ है- गढ़वाल मंडल और कुमाऊं मंडल। गढ़वाल मंडल में मुख्यतः 10 पर्यटन स्थल आते हैं, जिनमें से एक है 'पर्वतों की रानी मसूरी'। मसूरी में प्राकृतिक सौंदर्य की छटा के बीच बहुत से दर्शनीय और प्रेक्षणीय स्थल हैं।

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पर्वतों की रानी मसूरी अपने उदयकाल से ही पर्यटकों के लिए कौतूहल का विषय बनी रही। समय की गति के अनुरूप इसके कलेवर में परिवर्तन आते रहे, किंतु इसकी अनुपम-नैसर्गिक छटा ने सदैव ही पर्यटकों व प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। प्रतिवर्ष लाखों देशी व विदेशी पर्यटक यहां भ्रमणार्थ आते हैं।

पर्वताधिराज हिमालय की भव्य सुरम्य पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य करीब 2005 मीटर ऊंचाई पर अश्वनाल की सी आकृति वाली पहाड़ी पर बसा है यह पर्यटन स्थल। इसके उत्तरी भाग से हिमाच्छादित निर्मल-धवल हिमालय नजर आता है, दक्षिण में द्रोणस्थली का विहंगम दृश्य, पूर्व में टिहरी-गढ़वाल व पश्चिम में चकराता आदि दृष्टिगोचर होते हैं।
WDWD

इतिहासकारों का मानना है कि इस पर्यटन स्थल की खोज सन्‌ 1827में कैप्टन यंग ने की थी। चूंकि मंसूर के पौधे इस क्षेत्र में बहुतायत में थे, इसलिए इस पर्वतीय नगर का नाम मसूरी पड़ गया। मसूरी को देहरादून की छत के नाम से जाना जाता है। मसूरी अन्य हिल स्टेशनों से सर्वथा भिन्न है। शायद इसलिए ही यह पर्वतों की रानी कहलाती है। सबसे पहले लंढौर बाजार बसा और उसके बाद इसका निरंतर विस्तार होता चला गया। गर्मियों में यहां का मौसम काफी सुहावना व ठंडक भरा रहता है। यही वजह है कि मैदानी क्षेत्रों की चिलचिलाती धूप व गर्मी से बचने के लिए लोग यहां आते हैं।
WDWD
मसूरी व उसके आसपास के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल इस प्रकार हैं :-
गनहिल : कहा जाता है कि इस पहाड़ी पर अंगरेजों के समय में एक तोप रखी थी, जो ठीक 12 बजे दागी जाती थी। तभी से इस पहाड़ी का नाम गनहिल पड़ गया। इसकी ऊंचाई लगभग 7200 फुट है। यहां माल रोड, झूलाघर स्थित रोप वे से जाया जा सकता है। रोप वे के साथ ही कचहरी के निकट से एक पैदल मार्ग के जरिये भी गनहिल पहुंचा जा सकता है। गनहिल से दूनघाटी, जौनपुर घाटी, ऋषिकेश समेत चकराता की पहाड़ियों व हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाओं का अवलोकन किया जा सकता है।

कैंपटी फाल : मसूरी-यमुनोत्री मार्ग पर नगर से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित यह झरना पांच अलग-अलग धाराओं में बहता है, जो पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र बना रहता है। यह स्थल समुद्रतल से लगभग 4500 फुट की ऊंचाई पर है। इसके चारों ओर पर्वत श्रृंखलाएं दिखाई देती हैं। अंगरेज अपनी चाय दावत अकसर यहीं पर किया करते थे, इसीलिए तो इस झरने का नाम कैंपटी (कैंप+टी) फाल है।

लेकमिस्ट : कैंपटी फाल से वापस लौटते समय लेकमिस्ट जाया जा सकता है। लेकमिस्ट मसूरी-कैंपटी फाल मार्ग पर स्थित है।

म्युनिसिपल गार्डन : मसूरी का वर्तमान कंपनी गार्डन या म्युनिसिपल गार्डन आजादी से पहले तक बोटेनिकल गार्डन भी कहलाता था। कंपनी गार्डन के निर्माता विश्वविख्यात भूवैज्ञानिक डॉ. एच. फाकनार लोगी थे। सन्‌ 1842 के आस-पास उन्होंने इस क्षेत्र को सुंदर उद्यान में बदल दिया था। बाद में इसकी देखभाल कंपनी प्रशासन के देखरेख में होने लगा था। इसलिए इसे कंपनी गार्डन या म्युनिसिपल गार्डन कहा जाने लगा।

तिब्बती मंदिर : बौद्ध सभ्यता की गाथा कहता यह मंदिर निश्चय ही पर्यटकों का मन मोह लेता है। इस मंदिर के पीछे की तरफ कुछ ड्रम लगे हुए हैं। जिनके बारे में मान्यता है कि इन्हें घुमाने से मनोकामना पूरी होती है।