सिंधु ताई सपकाळ : महाराष्ट्र की मदर टेरेसा
मदर्स डे पर आपका परिचय एक ऐसी मां से करा रहे हैं, जिसके आंचल में एक-दो नहीं बल्कि हजार बच्चे दुलार पाते हैं। उनकी 36 बहुएं हैं और 272 दामाद। ऐसा है महाराष्ट्र की मदर टेरेसा बन चुकीं सिंधु ताई सपकाळ का परिवार।
सिंधु ताई के जीवन की कहानी बेहद दर्दनाक है, मगर उससे उबरकर उन्होंने दूसरों की जिंदगी को रोशन करने का जो जज्बा दिखाया, वो हैरान कर देने वाला है।
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ताई बताती हैं कि महज 9 वर्ष की उम्र में उनका विवाह एक अधिक उम्र के व्यक्ति के साथ कर दिया गया। चौथे दर्जे तक पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। कुछ सालों बाद आगे पढ़ने की इच्छा जताई तो ससुराल वालों का विरोध सामने आया और उन्हें घर से निकाल दिया गया। उस समय वे गर्भवती थीं। कुछ महीनों बाद तबेले में एक बेटी को जन्म दिया और अगले तीन वर्ष ट्रेनों में भीख मांगकर गुजारा करते हुए बीते। बच्चे के जन्म के समय गर्भनाल स्वयं महिला को पत्थर से तोड़ना पड़े...इससे बड़ा दुःख किसी महिला की जिंदगी में क्या होगा? सिंधु ताई सपकाळ ने यह दुःख भोगा है और यही नहीं इसके जैसे कई दुःख और भी हैं। सिंधुताई दुःखों का पहाड़ है पर इस पहाड़ से निर्मलता और ममता का झरना बहता है और सहज रुप से समाज सेवा करने का जज्बा आपमें पैदा होता है। अपने संघर्ष के दिनों में उन्हें बेटी को एक अनाथाश्रम में रखने की नौबत आ पड़ी। बेटी को छोड़ने के बाद रेलवे स्टेशन पर जब एक निराश्रित बच्चा पड़ा मिला तो उनके मस्तिष्क में विचार कौंधा ऐसे हजारों बच्चे और भी हैं। उनका क्या होगा?
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इसके बाद शुरू हुआ यह अंतहीन सिलसिला आज महाराष्ट्र की 5 बड़ी संस्थाओं में तब्दील हो चुका है। इन संस्थाओं में जहां 1 हजार अनाथ बच्चे (वैसे ताई की संस्था में अनाथ शब्द का उपयोग वर्जित है) एक परिवार की तरह रहते हैं, वहीं विधवा व परित्यक्ताओं को भी इनमें आसरा मिला है। ताई सबकी मां हैं और सभी के पालन-पोषण व शिक्षा-चिकित्सा का भार उन्हीं के कंधों पर है।