• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. वीमेन कॉर्नर
  3. मदर्स डे
  4. maa par hindi me kavita
Written By

मातृ दिवस पर हिन्दी कविता : मेरा दर्पण है वो, मैं उसकी छवि...

poem on mothers day in hindi
प्रतिभा जोशी 
मां-बेटी 
संबंध के बीच
बहती धारा स्पंदनों की 
मुस्कान लिए छवि की 
खुद के चेहरे पर वही छवि बन जाती है !
वृक्ष जीवन का
सींचते सींचते
सुरक्षित बने हैं जीवन पथ पर
उसी के सहारे से,
उसी के हौसले से
मां के रूप में
वही देती है संस्कार
वही जनक है संबंधों की
उसी के रूप,रस,गंध,शब्द और स्पर्श में पैदा होते हैं। 
तरंग है वह जीवन की- 
अनुभूति मेरे मन की
भावों का उद्वेग है वो
अदृश्य है ममता उसकी
मेरा दर्पण है वो
मैं उसकी छवि!
वह मेरा स्वरूप 
-मैं उसका स्वरूप
वह बुझी बुझी 
मैं खिली खिली
उसके तन की में एक कली
जब-जब उसने सींचा मुझको
अपने मन के उद्वेगों से
तब तब मेरा मन फूल हुआ
मैं फूल हूं उसकी बगिया का
जिसे देखकर वह मुस्काती थी
मेरी हर हरकत को देख देख
वह मन ही मन खिल जाती थी
हर हवा का रुख पहचानती थी
मुझको आंचल से ढक लेती थी
छोटी सी पीड़ा पर भी वो
यूं नजर उतारा करती थी
फिर एक दिन एक मुसाफिर का
उस फूल पर दिल मचलाया था
उस मां की करुणा को देखो
उसे अपने हाथों से उसे थमाया था
आँखों  से उसके धार बही
दिल के टुकड़े की फाड़ हुई यूं ही समय बीतता चला गया
मेरी बगिया में भी एक फूल खिला
अब आना-जाना कम हुआ
उसको दिखना भी बंद हुआ
हम अपने कामों में उलझ गए
उसकी सुध लेना भूल गए
उसकी सुध लेना भूल गए... 
ये भी पढ़ें
International Nurses Day कब है? क्यों जरूरी है मनाना? कैसी होती है एक नर्स की जिंदगी?