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Written By WD

एक माँ है जो खफा नहीं होती

मुनव्वर राना

Mothers Day 2010 | एक माँ है जो खफा नहीं होती
ND
तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे ऐ फलक
मुझको अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी।

लबों के उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे खफा नहीं होती।

मुझे बस इसलिए अच्छी बहार लगती है
कि ये भी माँ की तरह खुशगवार लगती है।

बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ
उठाया गोद में माँ ने तो आसमान छुआ।

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।

ये ऐसा कर्ज है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है।

यारों को खुशी मेरी दौलत पे है लेकिन
इक माँ है जो बस मेरी खुशी देख के खुश है।

जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है।