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Written By WD

सर्दी की वो शाम

kids world poem Cold winter | सर्दी की वो शाम
महेश पटेल

नीड़ को जाने लगता जब हर एक परिन्दा।
होती है सर्दी की खुशनुमा संध्या।
सूरज नारंगी होकर कहना शुभ विदा हँसकर
मधम मधम शशि चला आ रहा झोली में खुशियाँ भरकर

एक और हरियाली बिस्तर में छिपने को जाने लगी
पर्वत नदियों को भी सफेद सी रजाई भाने लगी।

तारे मुस्कराते, पर ठंड से कँपकँपाते।
मैं खड़ा छत पर, पर वो मुझको चिढ़ाते।

चाँद खिड़की से झाँककर हमसे कह रहा है।
इशारा है उसका उसकी तरफ,
जो इस सर्दी को नंगे बदन सह रहा है।