कहाँ है स्त्री भाषा
गत वर्ष की तरह विश्व पुस्तक मेले में ‘शब्दांकन’ को ‘राष्ट्रीय पुस्तक न्यास’ ने ‘साहित्य मंच’ पर स्थान दिया जिसमें मौनभंजन श्रृंखला के अंतर्गत 'कहाँ है स्त्री भाषा' पर परिचर्चा आयोजित की गई। परिचर्चा में प्रो. नामवर सिंह, शिवमूर्ति, अनामिका, भरत तिवारी, विनोद तिवारी, अशोक मिश्र, विजेन्द्र सिंह चौहान ने हिस्सा लिया। धन्यवाद ज्ञापन रूपा सिंह ने दिया।
प्रो. नामवर सिंह ने स्त्री भाषा की तुलना चिड़िया से करते हुए कहा कि स्त्री की भाषा मुक्त है व आकाश छू सकती है। कथाकार शिवमूर्ति सीता के दुबारा वनवास की बात करते हुए भावुक स्वर में बोले “हमारे गाँव में एक गीत गाया जाता था जिसका मर्म यह था कि सीता, भिक्षा मांगने जाने वाले लव-कुश से कहती हैं कि बेटे किसी भी द्वार पर जाना एक अयोध्या के राजा का द्वार छोड़”।
वरिष्ठ कवयित्री अनामिका ने स्त्री की भाषा पर लगने वाली रुकावटों को दूर करने का प्रण लेने का आह्वान किया। इस अवसर पर नीरजा पांडेय की पुस्तक ‘चंद पाती प्यारी बिटिया के नाम’ का विमोचन भी हुआ, पुस्तक के बारे में वरिष्ठ लेखिका चित्रा मुदगल ने कहा है कि यह पुस्तक हर लड़की को उपहार में दी जानी चाहिए। शब्दांकन एक ई पत्रिका है तथा इंटरनेट पर हिंदी के प्रचार प्रसार का कार्य सुरुचिपूर्ण ढंग से कर रही है। पत्रिका के संपादक भरत तिवारी हैं।