Last Modified: इंफाल ,
मंगलवार, 6 मार्च 2012 (22:52 IST)
इबोबी ने आलोचकों का मुंह बंद किया
मणिपुर में बीते साल हुए आर्थिक बंद के बाद ऐसा माना जा रहा था कि लोगों ने ओकराम इबोबी सिंह को कमोबेश खारिज कर दिया है पर 61 साल के इस कद्दावर नेता ने लगातार तीसरी बार राज्य में कांग्रेस को सत्ता में लाकर आलोचकों का मुंह बंद कर दिया।
करीब तीन महीने से ज्यादा समय तक राज्य में रहे बंद के कारण जरूरी सामनों की कीमतें आसमान छूने लगी थीं और इबोबी सरकार को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था, लेकिन इबोबी सिंह ने विकास कार्यों पर ध्यान देकर सत्ता विरोधी लहर को शांत करने में कामयाबी हासिल की।
साल 2007 के मुकाबले मणिपुर में इस बार ज्यादा सीटें जीतने वाली कांग्रेस के लिए यह जीत काफी राहत देने वाली है क्योंकि पार्टी को गोवा, उत्तर प्रदेश और पंजाब में करारी हार का सामना करना पड़ा है।
मृदुभाषी माने जाने वाले सिंह को मणिपुर में राजनीतिक स्थिरता लाने का श्रेय जाता है। मार्च 2002 में जब इबोबी पहली बार मुख्यमंत्री बने थे उससे पहले सत्ता में आने वाले महज कुछ मुख्यमंत्री ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए थे।
‘नगा पीपुल्स फ्रंट’ और मणिपुर कांग्रेस एवं तृणमूल कांग्रेस की ओर से सरकार की कथित नाकामियों को उजागर किए जाने के बावजूद सिंह ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान राज्य में शांति और समृद्धि लाने के लिए नया रास्ता चुनने के अपने वादे पर जोर दिया। आज की जीत के साथ इबोबी सिंह दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की फेहरिस्त में शामिल हो गए हैं जिन्होंने पार्टी को अपने राज्यों में लगातार तीसरी बार जीत दिलाने में कामयाबी हासिल की।
तृणमूल कांग्रेस, नेशनल पीपुल्स फ्रंट, मणिपुर स्टेट कांग्रेस, राकांपा, भाकपा, माकपा, जदयू ने चुनाव से पहले ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस’ नाम का एक गठबंधन बनाया था, लेकिन उनके प्रयासों ने रंग नहीं दिखाया। (भाषा)