गुरुवार, 14 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. महावीर जयंती
  4. भगवान महावीर स्वामी के जन्म की 5 खास बातें
Written By अनिरुद्ध जोशी

भगवान महावीर स्वामी के जन्म की 5 खास बातें

Mahavir Swami Jayanti | भगवान महावीर स्वामी के जन्म की 5 खास बातें
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के संस्थापक नहीं प्रतिपादक थे। उन्होंने श्रमण संघ की परंपरा को एक व्यवस्थित रूप दिया। उन्होंने 'कैवल्य ज्ञान' की जिस ऊंचाई को छुआ था वह अतुलनीय है। उनके उपदेश हमारे जीवन में किसी भी तरह के विरोधाभास को नहीं रहने देते हैं। आओ जानते हैं उनके जन्म की 5 खास बातें।
 
 
1.जन्म समय : भगवान महावीर का जन्म 27 मार्च 598 ई.पू. अर्थात 2610 वर्ष पहले हुआ था। उस वक्त चैत्र माह की शुक्ल त्रयोदशी थी। गर्भ तिथि अषाड़ शुक्ल षष्ठी (शुक्रवार 17 ई.पू. 599) और गर्भकाल 9 माह 7 दिन 12 घंटे।
 
 
2.जन्म स्थान : वैशाली गणतंत्र के कुंडलपुर में उनका जन्म हुआ था। कुंडलपुर बिहार के नालंदा जिले में स्थित है। यह स्थान पटना से यह 100 ‍किलोमीटर और बिहार शरीफ से मात्र 15 किलोमीटर दूर है। इस स्थान को जैन धर्म में कल्याणक क्षेत्र माना जाता है। भगवान महावीर ने 72 वर्ष की अवस्था में ईसापूर्व 527 में पावापुरी (बिहार) में कार्तिक (आश्विन) कृष्ण अमावस्या को निर्वाण प्राप्त किया। इनके निर्वाण दिवस पर घर-घर दीपक जलाकर दीपावली मनाई जाती है।
 
 
3. माता पिता : उनके पिता कुंडलपुर के राजा थे जिनका नाम सिद्धार्थ था। उनकी माता त्रिशला (प्रियकारिणी) लिच्छवि राजा चेटकी की पुत्र थीं। वे अपने माता पिता की तीसरी संतान थे। वर्धमान के बड़े भाई का नाम था नंदीवर्धन व बहन का नाम था सुदर्शना। उनका जन्म नाम वर्धमान है। राजकुमार वर्धमान के माता-पिता श्रमण धर्म के पार्श्वनाथ सम्प्रदाय से थे। महावीर को 'वीर', 'अतिवीर' और 'सन्मति' भी कहा जाता है। 

 
4.जन्म कुल : महावीर स्वामी जंत्रिक कुल से संबंधित थे। उनका वर्ण क्षत्रिया था।

 
5.महावीर के 34 भव (जन्म) : 1.पुरुरवा भील, 2.पहले स्वर्ग में देव, 3.भरत पुत्र मरीच, 4.पांचवें स्वर्ग में देव, 5.जटिल ब्राह्मण, 6.पहले स्वर्ग में देव, 7.पुष्यमित्र ब्राह्मण, 8.पहले स्वर्ग में देव, 9.अग्निसम ब्राह्मण, 10.तीसरे स्वर्ग में देव, 11.अग्निमित्र ब्राह्मण, 12.चौथे स्वर्ग में देव, 13.भारद्वाज ब्राह्मण, 14.चौथे स्वर्ग में देव, 15. मनुष्य (नरकनिगोदआदि भव), 16.स्थावर ब्राह्मण, 17.चौथे स्वर्ग में देव, 18.विश्वनंदी, 19.दसवें स्वर्ग में देव, 20.त्रिपृष्‍ठ नारायण, 21.सातवें नरक में, 22.सिंह, 23.पहले नरक में, 24.सिंह, 25.पहले स्वर्ग में, 26.कनकोज्जबल विद्याधर, 27.सातवें स्वर्ग में, 28.हरिषेण राजा, 29.दसवें स्वर्ग में, 30.चक्रवर्ती प्रियमित्र, 31.बारहवें स्वर्ग में, 32.राजा नंद, 33.सोलहवें स्वर्ग में, 34.तीर्थंकर महावीर।