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Written By WD Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 21 मई 2024 (16:28 IST)

Mahabharat Mosul War : मौसुल के युद्ध में बच गए यदुवंशियों ने पश्चिम के देशों में जाकर क्या किया?

Mahabharat Mosul War : मौसुल के युद्ध में बच गए यदुवंशियों ने पश्चिम के देशों में जाकर क्या किया? - Mosul war and yahudi
Mosul war and yahudi : आर्यभट्‍ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईपू में हुआ। इस युद्ध के 35 वर्ष पश्चात भगवान कृष्ण ने देह छोड़ दी थी तभी से कलियुग का आरंभ माना जाता है। मथुरा अंधक संघ की राजधानी थी और द्वारिका वृष्णियों की। ये दोनों ही यदुवंश की शाखाएं थीं। यदुवंश में अंधक, वृष्णि, माधव, यादव आदि वंश चला। श्रीकृष्ण ने मथुरा से जाकर द्वारिका में अपना स्थान बनाया था। श्रीकृष्ण ने द्वारिका का फिर से निर्माण कराया था। श्रीकृष्ण वृष्णि वंश से थे। वृष्णि ही 'वार्ष्णेय' कहलाए, जो बाद में वैष्णव हो गए। युद्ध के बाद सभी द्वारका में रह रहे थे। 
 
गांधारी ने यदुकुल या यदुवंश के नाश का शाप नहीं दिया था। दूसरी ओर कृष्‍ण पुत्र साम्ब द्वारा ऋषियों से मजाक करने पर ऋषियों को क्रोध आ गया और वे बोले, 'श्रीकृष्‍ण का पुत्र साम्‍ब वृष्णि और अधकवंशी पुरुषों का नाश करने के लिए लोहे का एक विशाल मूसल उत्‍पन्‍न करेगा और उसी से सभी यादव आपस में लड़कर मारे जाएंगे।  केवल बलराम और श्रीकृष्‍ण पर उसका वश नहीं चलेगा। 
मौसुल युद्ध : शाप के चलते हुए इस आपसी झगड़े को मौसुल युद्ध कहा जाता है। युद्ध के बाद 36वां वर्ष चल रहा था। उन्‍होंने यदुंवशियों को तीर्थयात्रा पर चलने की आज्ञा दी। वे सभी प्रभास में उत्सव के लिए इकट्ठे हुए और किसी बात पर आपस में झगड़ने लगे। झगड़ा इतना बढ़ा कि वे वहां उग आई एरक नामक घास को उखाड़कर उसी से एक-दूसरे को मारने लगे। उसी 'एरका' घास से यदुवंशियों का नाश हो गया। हाथ में आते ही वह घास एक विशाल मूसल का रूप धारण कर लेती थी। श्रीकृष्‍ण के देखते-देखते साम्‍ब, चारुदेष्‍ण, प्रद्युम्‍न और अनिरुद्ध की मृत्‍यु हो गई।
कृष्ण के जाने के बाद : बाद में जब श्रीकृष्ण का प्रभाष क्षेत्र में देहांत हुआ तो द्वारिका डूबने लगी। उस वक्त अर्जुन उपस्थित थे। कृष्ण वंश में बस वज्र नामक उनका पोता ही बचा था। अर्जुन सभी यदुवंशी महिलाओं और वज्र को लेकर हस्तिनापुर की ओर चले। रास्ते में भयानक जंगल आदि को पार करते हुए वे पंचनद देश में पड़ाव डालते हैं। वहां रहने वाले लुटेरों को जब यह खबर मिलती है कि अर्जुन अकेले ही इ‍तने बड़े जनसमुदाय को लेकर हस्तिनापुर जा रहे हैं, तो वे धन के लालच में वहां धावा बोल देते हैं। अर्जुन चीखकर लुटेरों को चेतावनी देते हैं, लेकिन लुटेरों पर उनकी चीख का कोई असर नहीं होता है और वे लूट-पाट करने लगते हैं। वे सिर्फ स्वर्ण आदि ही नहीं लूटते हैं बल्कि सुंदर महिलाओं को भी लूटते हैं। चारों ओर हाहाकार मच जाता है।
abhimanyu vadh
जैसे-तैसे अर्जुन यदुवंश की बची हुईं स्त्रियों व बच्चों को लेकर कुरुक्षेत्र पहुंचते हैं। यहां आकर अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के पोते वज्र को इन्द्रप्रस्थ का राजा बना देते हैं। बूढ़ों, बालकों व अन्य स्त्रियों को अर्जुन इन्द्रप्रस्थ में रहने के लिए कहते हैं। लेकिन कहते हैं कि रुक्मिणी, शैब्या, हेमवती तथा जाम्बवंती आदि रानियां अग्नि में प्रवेश कर जाती हैं व शेष वन में तपस्या के लिए चली जाती हैं।- संदर्भ महाभारत मौसुल पर्व
 
कई यदुवंशी पश्‍चिम भाग गए : मौसुल युद्ध के बाद द्वारिका नगर में रह रहे जो अन्य यदुवंशी लोग अर्जुन के साथ नहीं गए वे पश्चिमी देशों की ओर चले गए थे। कई यदुवंशी द्वारिका छोड़कर समुद्र के रास्ते पश्‍चिम की ओर भाग गए थे। भागकर वे शाम (सीरिया), अरब, मिस्र (इजिप्ट) होते हुए फिलिस्तीन, इसराइल पहुंच गए थे। यह घटना लगभग 3020 ईसा पूर्व की मानी जाती है। तभी से वहीं पर कुछ यदुवंशी रह रहे थे। उन्हीं यदुवंशियों ने इसराइल में एक नए साम्राज्य की स्थापना की।
जनश्रुति के अनुसार उधर इसराइल में बसे यदुवंशियों ने एक नए धर्म की स्थापना की जिसमें आगे चलकर ही अब्राह्म हुए। शोधकर्ताओं ने इसके बाद के यहूदी प्रॉफेट मूसा और श्रीकृष्ण की समानता पर शोध करके यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि यहूदी और हिन्दू धर्म में कितनी समानता है या कि यादवों के कारण ही यहूदी धर्म को यहूदी कहा जाता है। कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण और मूसा और उनके भाई बलराम और हारून में बहुत हद तक समानता है हो सकता है कि दोनों की कहानी को पश्‍चिम ने एक नया रूप दे दिया हो।
 
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