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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 6 मार्च 2020 (10:42 IST)

मध्य प्रदेश में सत्ता बचाने और गिराने के लिए ट्रंप कार्ड बना कर्नाटक फॉर्मूला

मध्य प्रदेश में सत्ता बचाने और गिराने के लिए ट्रंप कार्ड बना कर्नाटक फॉर्मूला - Madhya Pradesh : BJP and Congress both party adopt Karnataka formula
मध्य प्रदेश की सियासत में शह और मात का खेल जारी है। सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल एक दूसरे को मात देने के लिए अपनी चालें चल रहे है। गुरुवार रात तेजी से बदलते घटनाक्रम में कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग के इस्तीफा होना और उसके तुरंत बाद भाजपा खेमे के तीन विधायकों का मुख्यमंत्री निवास पहुंचने से सियासी पारा एकाएक सातवें आसमान पर पहुंच गया।
 
मध्य प्रदेश की सियासत में जारी उठापटक में दिलचस्प बात ये हैं कि भाजपा सत्ता हासिल करने के लिए जिस कर्नाटक फार्मूले पर चल रही है वहीं दूसरी सत्ता में काबिज कांग्रेस इसी कर्नाटक फॉर्मूले के सहारे अपनी सरकार बचाने की कोशिश में लगी हुई है। भाजपा जहां कांग्रेस के कुछ विधायकों का इस्तीफा दिलवाकर उनको अपने खेमे में लाने की कोशिश में लगी हुई है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी भाजपा के विधायकों को अपने पाले में लाने के लिए हर चाल चल रही है। वहीं कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में कांग्रेस विधायकों को होने की पुष्टि होने के बाद अब सबकी नजरें भोपाल से बेंगलुरु की ओर है।  
 
मध्य प्रदेश की सियासत को करीबी से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर राकेश पाठक कहते हैं कि ये दिलचस्प बात है कि दोनों ही पार्टी एक ही फॉर्मूले पर काम कर रही है लेकिन इसमें पलड़ा उस पार्टी का भारी होगा जो सत्ता में काबिज है। डॉक्टर राकेश पाठक कहते हैं कि चूंकि कर्नाटक फॉर्मूला दोनों ही पार्टी अपना रही है इसलिए जो सत्ता में होता है उसके पास विधायकों को अपने पाले में करने के लिए कई तरीके होते है इसमें मंत्री पद सबसे बड़ा ऑफर होता है और अभी कमलनाथ सरकार की कैबिनेट में कई मंत्रियों की गुंजाइश है। 
वेबदुनिया से बातचीत में डॉक्टर राकेश पाठक कहते हैं कि अगर मध्य प्रदेश विधानसभा के सियासी समीकरण को देखे तो सदस्य संख्या के अंकगणित के हिसाब कांग्रेस, भाजपा से काफी आगे दिख रही। वह कहते हैं कि ऐसे समय जब एक –एक विधायक महत्वपूर्ण हो गया है तो सपा और बसपा के विधायकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है और वह अब तक कांग्रेस सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे है। 
 
डॉक्टर राकेश पाठक कहते हैं कि आज का दिन मध्य प्रदेश की सियासत में अहम साबित हो सकता है क्योंकि बीती रात जैसे भाजपा विधायक मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलने के लिए पहुंचे है उसके बाद यह तय हो गया है कि अब पाला बदलने की तैयारी हो चुकी है और आज का दिन तय कर सकता है कि कितने विधायक एक दूसरे के खेमे में नजर आते है।    
 
क्या है कर्नाटक फॉर्मूला – कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस सरकार के ताख्ता पलटने के लिए भाजपा ने सत्तारुढ़ दल के एक दर्जन से ज्यादा विधायकों के इस्तीफे दिलवाकर सत्ता हासिल कर ली थी। सत्ता में काबिज होने के बाद उपचुनाव में इन विधायकों भाजपा ने चुनावी मैदान में उताकर अधिकांश को मंत्री बना दिया था। इसके बाद देश की सियासत में दल बदल और ताख्ता पलट के लिए कर्नाटक फॉर्मूले एख नजीर बन गया है। 
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