शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. मध्यप्रदेश
  4. BJP and Congress eye on tribal vote bank in Madhya Pradesh
Written By Author विकास सिंह
Last Updated : सोमवार, 6 सितम्बर 2021 (18:16 IST)

MP में आदिवासी वोटरों को रिझाने में कांग्रेस और भाजपा में होड़, कांग्रेस की अधिकार यात्रा को भाजपा ने बताया धोखा यात्रा

MP में आदिवासी वोटरों को रिझाने में कांग्रेस और भाजपा में होड़, कांग्रेस की अधिकार यात्रा को भाजपा ने बताया धोखा यात्रा - BJP and Congress eye on tribal vote bank in Madhya Pradesh
भोपाल। मध्यप्रदेश में ओबीसी वोटबैंक को साधने के साथ-साथ अब आदिवासियों को रिझाने में भाजपा और कांग्रेस में होड़ सी लग गई है। सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा जहां 17 सितंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजदूगी में जबलपुर में एक बड़ा आयोजन कर आदिवासी वोटरों को रिझाने में जुटी हुई है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने सोमवार को आदिवासी बाहुल्य जिले बड़वानी से ‘आदिवासी अधिकार यात्रा’ शुरु कर इस बड़े वोट बैंक को साधने के लिए अपना मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। 
 
बड़वानी में ‘आदिवासी अधिकार यात्रा’ के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने खुद को और अपनी पार्टी को आदिवासियों का सबसे बड़ा हितैषी बताते हुए दावा किया कि वह खुद आदिवासी बाहुल्य जिले छिंदवाड़ा से आते है और उन्होंने 15 महीने की अपनी सरकार आदिवासियों के हित में एक नहीं कई काम किए। 
 
वहीं कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर आदिवासी को गुमराह करने और नौजवानों व युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केवल रोजगार के नाम पर घोषणा करते ही नजर आते है और वह अब सिर्फ घोषणावीर मुख्यमंत्री रह गए है। 
 
वहीं दूसरी ओर भाजपा आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए बड़ी रणनीति तैयार कर रही है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 18 सितंबर को आदिवासी गोंडवाना के राजा शहीद शंकर शाह, और उनके बेटे रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जबलपुर आ रहे है। भाजपा इस बड़े कार्यक्रम के जरिए गोंड वोटों के साथ-साथ पूरे  आदिवासी वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत बनाना चाह रही है। भाजपा ने कांग्रेस की आदिवासी अधिकार यात्रा को धोखा यात्रा करार दिया है।
 
दरअसल मध्यप्रदेश की सियासत में पिछले कुछ समय से आदिवासी सत्ता के केंद्र में है। प्रदेश में सत्तारुढ़ पार्टी भाजपा के विश्व आदिवासी दिवस पर छुट्टी खत्म होने को विपक्षी दल कांग्रेस ने मुद्दा बनाते हुए विधानसभा में जोर शोर से उठाया था। 
 
आदिवासियों को रिझाने में भाजपा और कांग्रेस में होड़ मचने का सबसे बड़ा कारण उसका बड़ा वोट बैंक होने के साथ-साथ विधानसभा की 230 सीटों में से 47 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित होना है। 
 
2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट बैंक भाजपा से छिटक कर कांग्रेस के साथ चला गया था और कांग्रेस ने 47 सीटों में से 30 सीटों पर अपना कब्जा जमा लिया था। वहीं अब 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा आदिवासी वोट बैंक को साध कर सत्ता में बनी रहना चाह रही वहीं कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक के साहरे एक बार फिर 2018 का इतिहास 2023 में दोहराने की जुगत में लगी हुई है। 
 
ये भी पढ़ें
पंजशीर पर तालिबान के कब्जे के दावों के बीच ताजिकिस्तान भागे अमरुल्लाह सालेह!