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Written By विकास सिंह
Last Updated :भोपाल , शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019 (12:06 IST)

क्या भाजपा के गले की फांस बनेंगे अश्विन और आयकर छापे?

क्या भाजपा के गले की फांस बनेंगे अश्विन और आयकर छापे? - Ashwin, Income tax raid and BJP
भोपाल। लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद भी मध्यप्रदेश की सियासत का पारा उतना नहीं बढ़ा पाया था जितना सियासी उबाल पिछले दिनों मध्यप्रदेश में पड़े आयकर विभाग के छापों ने ला दिया। 7 अप्रैल को आयकर विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़, भोपाल में कारोबारी अश्विन शर्मा और प्रतीक शर्मा के ठिकानों पर छापा मारा।
 
लगभग तीन दिन तक चली आयकर विभाग की इस कार्रवाई ने सूबे की सियासत का तापमान बढ़ा दिया। मुख्यमंत्री के करीबियों पर आयकर की छापे के तुरंत बाद भाजपा कांग्रेस पर इस कदर हमलावर हुई जितनी लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद भी नहीं हुई थी।
 
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने प्रवीण कक्कड़ और अश्विन शर्मा के घर छापे और बरामद कैश को लेकर सीधे कमलनाथ सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया लेकिन छापे के दौरान ही जब अश्विन शर्मा पहली बार मीडिया के सामने आया तो उसने खुद को भाजपा का आदमी बताया।
 
इसके बाद अचानक आयकर छापे को लेकर सियासत में यू-टर्न दिखाई देने लगा। छापे के तुरंत बाद जो भाजपा के बड़े नेता सीधे मुख्यमंत्री कमलनाथ पर हमला बोल रहे थे, वो खमोश हो गए और कांग्रेस ने इसे चुनावी छापा बताते हुए इसे बीजेपी की साजिश बताया।
 
वहीं आयकर छापे के कार्रवाई खत्म होने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री के ओएसडी प्रवीण कक्कड़ मीडिया के सामने आए और छापे को राजनीतिक छापा बताते हुए इसके खिलाफ हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका भी लगा दी, जिस पर गुरुवार को कोर्ट ने सुनवाई भी की। वहीं गुरुवार को ही आयकर छापे की जद में आया कारोबारी अश्विन शर्मा पहली बार खुलकर मीडिया के सामने आया।
 
अश्विन शर्मा ने प्रवीण कक्कड़ के साथ अपने पारिवारिक रिश्ते बताते हुए किसी भी तरह के कारोबारी रिश्ते से इंकार करते हुए कहा कि उसने जो भी तरक्की हासिल की है वो पिछले पंद्रह सालों में की है। उसका कांग्रेस से क्यों रिश्ता जोड़ा जा रहा है?
 
अश्विन ने कहा कि वो भाजपा को सपोर्ट इसलिए करता हैं क्योंकि बीजेपी सरकार के समय ही उसने तरक्की की है और बड़ा आदमी बना है। मुख्यमंत्री कमलनाथ से जब अश्विन के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सब की जांच होगी और जांच में सब साफ हो जाएगा। वहीं अश्विन के इस बयान ने कि आयकर विभाग के अफसर मुझसे किसी का नाम लेने का टॉर्चर कर रहे थे, ने पूरे छापे की ही कार्रवाई पर सवालिया निशान उठा दिया है। पूरी तैयारी से मीडिया के सामने आए अश्विन ने अपने घर से मिली सभी गाड़ियों के पेपर, हथियारों के लाइसेंस भी दिखाए।
 
अश्विन ने कहा कि वो आयकर विभाग की कार्रवाई को कोर्ट में चुनौती देंगे। उनके भाजपा से जुड़े बयान को मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर राकेश पाठक काफी गंभीर बताते हैं। वेबदुनिया से बातचीत में डॉक्टर राकेश पाठक कहते हैं कि ये पूरी कार्रवाई भाजपा के लिए उल्टे बांस बरेली की कहावत को चरितार्थ करती है।
 
डॉक्टर पाठक आगे कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के समय भले ही आयकर का छापा राजनीति से प्रेरित न रहा हो लेकिन अब उसके निहितार्थ भाजपा के लिए भारी पड़ने जा रहे हैं। डॉक्टर पाठक कहते हैं कि अश्विन ने पिछली सरकार के समय जिन सरकारी ठेकों और सप्लाई के काम को हासिल किया था उस पर भी सवाल उठते रहे हैं और अगर इन सभी मामलों की जांच होती हैं तो सामने आने वाले तथ्य लोगों को चौंका सकते हैं।
 
आयकर छापे का साइड इफेक्ट - एक तरफ आयकर छापे की जद में आया अश्विन शर्मा बार-बार मीडिया को सामने अपने को भाजपा से जुड़ा बता रहा है तो दूसरी ओर आयकर छापे के तुरंत बाद कमलनाथ सरकार ने भाजपा सरकार के समय हुए घोटालों का पिटारा खोल दिया। भाजपा सरकार के समय सबसे बड़े घोटाले की आंशका वाले ई टेंडरिंग मामले में लंबे समय से कछुए की रफ्तार से चल रही जांच में अचानक से तेजी आई और ईओडब्ल्यू ने पांच विभागों और सात कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर एक कंपनी के तीन अधिकारियों को गिफ्तार भी कर लिया।

ई-टेंडर घोटाले में बीजेपी के बड़े नेताओं के खिलाफ भी एक्शन की तैयारी में कांग्रेस सरकार आ गई है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के चार महीने बाद अचानक हुई इस कार्रवाई को बीजेपी जहां बदले की कार्रवाई बता रही है तो सियासी पंडित इसे आयकर छापे का साइड इफेक्ट बता रहे हैं। इसके साथ-साथ कांग्रेस सरकार बीजेपी सरकार के समय सबसे चर्चित व्यापम घोटाले की फाइलें फिर से खुलवाने की तैयारी में है। गुरुवार को ही माखनलाल यूनिवर्सिटी में भर्ती और अन्य मामलों की जांच रिपोर्ट भी ईओडब्ल्यू को सौंप दी गई।

इसके बाद साफ है कि आयकर छापों ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार को एकाएक जगा दिया और सरकार तबाड़तोड़ भाजपा सरकार के समय हुए घोटालों के जरिए उसके बड़े नेताओं पर शिकंजा कसने जा रही है।