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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : सोमवार, 4 दिसंबर 2023 (12:13 IST)

मध्यप्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत में भी सिमटा ज्योतिरादित्य सिंधिया का कुनबा

मध्यप्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत में भी सिमटा ज्योतिरादित्य सिंधिया का कुनबा - Jyotiraditya Scindia role in BJP's victory in Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश में भाजपा की प्रचंड विजय ने सियासी पंडितों को चौंका दिया है। मध्यप्रदेश में बिना सीएम फेस के चुनावी मैदान में उतरी भाजपा ने इस बार पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा है। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा हाईकमान ने इस बार प्रदेश में अपने हर बड़े चेहरे को चुनाव मैदान में उतरा था सिवाय केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के।

मार्च 2020 में अपने समर्थक 19 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही चुनावी मैदान में नहीं उतरे हो लेकिन उनके समर्थक चुनावी मैदान में उतरे थे। अगर चुनाव परिणामों का विश्लेषण करे तो इस बार विधानसभा चुनाव में 13 सिंधिया समर्थक चुनावी मैदान में उतरे लेकिन इसमें से 7 सिंधिया समर्थक उम्मीदवार ही चुनाव जीत सके वहीं 6 उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा।

गुना के बमौरी से चुनावी मैदान में उतरे सिंधिया समर्थक और शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया, धार के बदनावर से कैबिनेट मंत्री राजवर्द्धन दत्तीगांव, पोहरी से राज्यमंत्री सुरेश धाकड़, मुरैना से रघुराज कंसाना,अंबाह से कमलेश जाटव, अशोकनगर से जजपाल सिंह जज्जी और डबरा से इमरती देवी को हार का सामना करना पड़ा।

वहीं सिंधिया खेमे की जीतने वालों में सांवेर विधानसभा सीट से तुलसी सिलावट, ग्वालियर से प्रद्दुयम्मन सिंह तोमर, सुरखी से गोविंद सिंह राजपूत, रायसेन से प्रभुराम चौधरी, मुंगावली से बृजेंद्र सिंह यादव और मनोज चौधरी को जीत हासिल हुआ था

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जहां कैलाश विजवर्गीय और वीडी शर्मा जैसे भाजपा के बड़े क्षत्रपों ने अपने जिले और अपनी लोकसभा सीटों के अंतर्गत आने वाली सभी विधानसभा सीटों को जीत लिया, वहीं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का जादू उनके  गृह नगर ग्वालियर में नहीं दिखाई दिया। ग्वालियर की 6 विधानसभा सीटों में भाजपा अपनी सीटों में सिर्फ एक अंक का इजाफा कर पाई। जिले की 6 विधानसभा सीटों में भाजपा-3 और कांग्रेस-3 सीटों पर जीत हासिल हुई। ग्वालियर जिले में आने वाली डबरा विधानसभा सीट से सिंधिया की कट्टर समर्थक इमरती देवी लगातार दूसरी बार चुनाव हार गई।

अगर ग्वालियर-चंबल की बात करे तो 34 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 18 सीटों पर जीत हासिल की वहीं कांग्रेस के खाते में 16 सीटें आई है। ऐसे में ग्वालियर-चंबल अंचल में भाजपा और कांग्रेस में लगभग बराबर का मुकाबला रहा। अगर 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करे तो भाजपा 34 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 7 सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी। वहीं सिंधिया के भाजपा में आने के बाद साल 2020 में अंचल की 16 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा को 9 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और कांग्रेस को 7 सीटें मिली थी।

ऐसे में जो ज्योतिरादित्य सिंधिया 2019 में अपने 19 विधायकों के साथ भाजपा में आए थे अब उनके समर्थक विधायकों की संख्या सिर्फ 6 बची है, ऐसे में कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में भाजपा भले ही प्रचंड जीत हासिल की हो लेकिन उनका कुनबा लगातर सिमटता जा रहा है।
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