नामांकन रद्द केस में CJI चंद्रचूड़ की तीखी टिप्पणी, बोले- इस तरह तो फैल जाएगी अराजकता...
Statement of CJI DY Chandrachud in nomination papers case : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर शीर्ष अदालत नामांकन पत्रों की अस्वीकृति के खिलाफ याचिकाओं पर विचार करना शुरू कर देती है तो अराजकता पैदा हो जाएगी। हालांकि पीठ ने वकील को उचित कानूनी उपाय का सहारा लेने की अनुमति दे दी।
शीर्ष अदालत की एक पीठ ने बिहार के एक व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी, जो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ने का इरादा रखता था, लेकिन उसका नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया था। पीठ ने कहा कि इसका समाधान नामांकन पत्रों की ऐसी अस्वीकृति के खिलाफ चुनाव याचिका दायर करने में है, न कि शिकायत के साथ शीर्ष अदालत पहुंचने में।
उचित कानूनी उपाय का सहारा लेने की दी अनुमति : प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा, अगर हम नामांकन पत्रों की अस्वीकृति के खिलाफ संविधान के तहत अनुच्छेद 32 के तहत याचिकाओं पर विचार करना शुरू कर देंगे तो अराजकता पैदा हो जाएगी। हालांकि पीठ ने जवाहर कुमार झा की तरफ से पेश वकील अलख आलोक श्रीवास्तव को उचित कानूनी उपाय का सहारा लेने की अनुमति दे दी।
लोकसभा चुनाव के लिए बांका सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में झा का नामांकन पत्र निर्वाचन अधिकारी (आरओ) ने खारिज कर दिया था। सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने कहा, अगर हम नोटिस जारी करते हैं और मामले की सुनवाई करते हैं, तब तक यह चुनाव बीत जाएगा। आपको चुनाव कानून के नियम का पालन करना होगा। हम नामांकन पत्र की अस्वीकृति के खिलाफ याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। याचिकाकर्ता कानून के तहत उपलब्ध उपचार का सहारा ले सकता है।
बिना किसी ठोस वजह के कोई भी नामांकन पत्र अस्वीकार नहीं : अपनी याचिका में झा ने नामांकन पत्र को खारिज करने में निर्वाचन अधिकारियों द्वारा विवेक के मनमाने और दुर्भावनापूर्ण इस्तेमाल पर नियंत्रण लगाने के लिए निर्वाचन आयोग को निर्देश देने का अनुरोध किया था। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 36 निर्वाचन अधिकारी द्वारा नामांकन पत्रों की जांच से संबंधित है और इसकी उपधारा-चार कहती है, निर्वाचन अधिकारी बिना किसी ठोस वजह के किसी भी नामांकन पत्र को अस्वीकार नहीं करेगा।
झा ने अपने नामांकन पत्र की अस्वीकृति के खिलाफ सीधे शीर्ष अदालत का रुख किया था। झा ने अपनी याचिका में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 36(4) की त्रुटि को परिभाषित करने के लिए निर्देश का अनुरोध किया। याचिकाकर्ता ने कहा कि किसी विशिष्ट परिभाषा के अभाव में निर्वाचन अधिकारी अक्सर विभिन्न उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों को पूरी तरह से मनमाने और एकतरफा तरीके से खारिज कर देते हैं।
याचिकाकर्ता ने देशभर के आरओ को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया था कि चुनाव नामांकन पत्रों में चिह्नित प्रत्येक त्रुटि को ठीक करने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार को कम से कम एक दिन का उचित अवसर अनिवार्य रूप से प्रदान किया जाए। बांका संसदीय क्षेत्र के लिए 26 अप्रैल को मतदान होगा। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour