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Last Updated :नई दिल्ली , शुक्रवार, 15 मार्च 2024 (20:28 IST)

Electoral Bonds : चुनावी बॉन्ड पर बोले राहुल गांधी, दुनिया की सबसे बड़ी जबरन वसूली

CBI-ED भाजपा के औजार

Electoral Bonds :  चुनावी बॉन्ड पर बोले राहुल गांधी, दुनिया की सबसे बड़ी जबरन वसूली - Electoral bonds was the biggest extortion racket in the world, says Rahul Gandhi
Electoral Bonds : चुनावी बॉन्ड पर राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने कहा कि यह दुनिया की जबरन वसूली है। उन्होंने कहा कि मोदी के दावे की हकीकत सामने आई है।  सामने आना चाहिए सच : कांग्रेस ने कहा कि चुनावी बॉण्ड योजना से जुड़े मामले की सुप्रीम कोर्ट को उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए और सच सामने आने तक भाजपा के बैंक खातों से लेन-देन पर रोक लगाई जाए। 

राहुल गांधी ने कहा कि CBI-ED जैसी चीज नहीं है। वो अब भाजपा के औज़ार हैं।  वे उनके कंट्रोल में हैं...चोहे वो चुनाव आयोग हो, चाहे वो CBI-ED हो। यह अब भाजपा और RSS के हथियार हैं।

राहुल गांधी ने कहा कि उनको यह भी सोचना चाहिए कि किसी ना किसी दिन भाजपा की सरकार बदलेगी और फिर कार्रवाई होगी और ऐसी कार्रवाई होगी कि मैं गारंटी देता हूं कि यह फिर से कभी नहीं होगा।
 
चुनाव आयोग ने गुरुवार को चुनावी बॉण्ड के आंकड़े सार्वजनिक किए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 12 मार्च को आयोग के साथ आंकड़े साझा किये थे।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’, लेकिन आज उच्चतम न्यायालय ने यह उजागर कर दिया है कि कैसे भाजपा ने चुनावी बॉण्ड से पैसा बनाया है। 
 
एसबीआई द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि भाजपा को कुल चंदे का 50 प्रतिशत से अधिक मिला, जबकि कांग्रेस को केवल 11 प्रतिशत मिला।’’
खरगे ने कांग्रेस के खिलाफ आयकर विभाग की कार्रवाई का हवाला देते हुए कहा, ‘‘आयकर विभाग को ऐसा करने का निर्देश दिया गया था और लगभग 300 करोड़ रुपये ‘फ्रीज’ कर दिए गए हैं...हम चुनाव में कैसे जा सकते हैं? आप चुनावी बॉण्ड के माध्यम से करोड़ों रुपये एकत्र कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस को कार्यकर्ताओं, सांसदों और अन्य लोगों से चंदा मिला।’’
 
उन्होंने कहा कि हमारा खाता बंद है, उनका खाता खुला है। उन्हें 6,000 करोड़ रुपये मिले, जबकि दूसरों को बहुत कम मिला।’’
 
खरगे ने सवाल किया, ‘‘अगर विपक्षी पार्टी का खाता ‘फ्रीज’ कर दिया जाएगा, तो वह चुनाव कैसे लड़ेगी? समान अवसर कहां है?" इसलिए मैं उच्चतम स्तर पर जांच की मांग करता हूं। जब तक सच्चाई सामने नहीं आती, तब तक उनके (भाजपा) खाते से भी लेन-देन पर रोक लगाई जानी चाहिए। यह पता लगाने के लिए एक विशेष जांच की जानी चाहिए कि क्या उन्हें किसी एहसान के बदले में या उत्पीड़न अथवा चंदे के बदले मामलों को बंद करने के एवज में पैसे मिले हैं।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ हम भाजपा द्वारा भ्रष्टाचार की इस गाथा की जांच के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय से उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हैं।’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, "1,300 से अधिक कंपनियों और व्यक्तियों ने चुनावी बॉण्ड के रूप में चंदा दिया है, जिसमें 2019 के बाद से भाजपा को मिला 6,000 करोड़ से अधिक का चंदा शामिल है।"
 
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावी बॉण्ड के आंकड़े भाजपा की कम से कम चार भ्रष्ट तरकीबों - ‘लाभ के बदले लाभ पहुंचाने’, 'हफ्ता वसूली ', 'रिश्वतखोरी ' और 'मुखौटा कंपनियों के माध्यम से धनशोधन’ को उजागर करते हैं।
 
रमेश ने दावा किया कि ऐसी कई कंपनियों के मामले हैं जिन्होंने चुनावी बॉण्ड के रूप में चंदा दिया और इसके तुरंत बाद सरकार से भारी लाभ प्राप्त किया।
 
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की ‘‘हफ्ता वसूली रणनीति’’ बिल्कुल सरल है और वह यह है कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय), सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) और आयकर विभाग के जरिए किसी कंपनी पर छाप मारो और फिर उससे ‘‘हफ्ता’’ (चंदा)मांगो।
 
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि 30 चंदादाताओं में से कम से कम 14 के खिलाफ पहले छापे मारे गए थे।
 
उन्होंने कहा कि आंकड़ों से यह जानकारी सामने आती है कि केंद्र सरकार से कुछ मदद मिलने के तुरंत बाद कंपनियों ने चुनावी बॉण्ड के माध्यम से एहसान चुकाया।
 
उन्होंने दावा किया, ‘‘वेदांता को तीन मार्च 2021 को राधिकापुर पश्चिम निजी कोयला खदान मिली और फिर उसने अप्रैल 2021 में 25 करोड़ रुपये का चुनावी बॉण्ड के रूप में चंदा दिया।’’
 
रमेश ने कहा, ‘‘चुनावी बॉण्ड योजना के साथ एक बड़ी समस्या यह थी कि इसने यह प्रतिबंध हटा दिया कि किसी कंपनी के मुनाफे का केवल एक छोटा हिस्सा ही दान किया जा सकता है। इसके कारण मुखौटा कंपनियों के लिए काला धन दान करने का मार्ग प्रशस्त हो गया।’’
 
उनका कहना है, ‘‘एक अन्य प्रमुख मुद्दा गुम आंकड़े का है। एसबीआई द्वारा प्रदान किए गए आंकड़े में केवल अप्रैल 2019 से जानकारी दी गई है, लेकिन एसबीआई ने मार्च 2018 में बॉण्ड की पहली किश्त बेची। इन आंकड़ों से 2,500 करोड़ रुपये के बॉण्ड गायब हैं। मार्च 2018 से अप्रैल 2019 तक इन गायब बॉण्ड का डेटा कहां है?’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘चुनावी बॉण्ड की पहली किश्त में, भाजपा को 95 प्रतिशत धनराशि मिली। भाजपा किसे बचाने की कोशिश कर रही है?’’
रमेश ने कहा, ‘‘जैसे-जैसे चुनावी बॉण्ड के आंकड़ों का विश्लेषण जारी रहेगा, भाजपा के भ्रष्टाचार के ऐसे कई मामले स्पष्ट होते जाएंगे। हम बॉण्ड आईडी नंबर की भी मांग करते हैं, ताकि हम चंदा देने वालों और लेने वालों का सटीक मिलान कर सकें।’’ भाषा
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