झुंझुनू। राजस्थान की 25 सीटों पर होने वाले लोकसभा चुनाव में झुंझुनूं से कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपने प्रत्याशी चयन करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
झुंझुनूं संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में झुंझुनूं, उदयपुरवाटी, खेतड़ी, सूरजगढ़, पिलानी (सुरक्षित), मंडावा, नवलगढ़ एवं सीकर जिले का फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र आता है। 8 विधानसभा क्षेत्रों से बना झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रमुख दल जिताऊ प्रत्याशी तलाश रहे हैं।
झुंझुनूं लोकसभा सीट पर कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला का वर्चस्व था। ओला लगातार 5 बार झुंझुनूं से लोकसभा चुनाव जीते। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व शीशराम ओला का निधन हो जाने पर कांग्रेस ने उनकी पुत्रवधू एवं झुंझुनूं की पूर्व जिला प्रमुख राजबाला ओला को चुनाव लड़ाया, मगर वे मोदी लहर के चलते भाजपा की सूरजगढ़ विधायक संतोष अहलावत से चुनाव हार गईं। अहलावत को 4,88,182 वोट मत मिले जबकि राजबाला ओला को 25,4347 मतों से संतोष करना पड़ा।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बागी के तौर पर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने वाले नवलगढ़ विधायक डॉ. राजकुमार शर्मा ने लोकसभा चुनाव में 2,06,280 मत प्राप्त किए थे, जो कांग्रेस की हार का एक प्रमुख कारण था। वर्तमान में डॉ. शर्मा नवलगढ़ से कांग्रेस विधायक हैं। गत लोकसभा चुनाव में इनके अलावा आम आदमी पार्टी के मेजर जनरल राज कादयान ने 10,386 मत प्राप्त किए जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रत्याशी रईसा बानो को 10,423 मत मिले।
झुंझुनूं जाट बहुल मतदाताओं वाला लोकसभा क्षेत्र होने से कांग्रेस में जाट जाति से प्रत्याशियों के बीच टिकट लेने की होड़ मची हुई है। कांग्रेस टिकट के प्रबल दावेदारों में पिछली बार मोदी लहर में हार चुकीं राजबाला ओला एक बार फिर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं।
राजबाला ओला के पति बृजेन्द्र ओला झुंझुनूं विधानसभा सीट से तीसरी बार विधायक हैं। ओला परिवार चाहता है कि उनके पिता शीशराम ओला झुंझुनूं से 5 बार सांसद एवं 9 बार विधायक तथा केंद्र एवं राज्य सरकारो में वर्षों मंत्री रहे। ओला परिवार की क्षेत्र के मतदाताओं पर पकड़ मानी जा रही है और इसी आधार पर ओला इस बार कांग्रेस से टिकट मिलने के लिए आशान्वित है।
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ. चन्द्रभान भी लोकसभा टिकट के लिए प्रयास कर रहे हैं। डॉ. चंद्रभान को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का करीबी माना जाता है जिसका उन्हें फायदा मिल सकता है। डॉ. चन्द्रभान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए 2013 में मंडावा से कांग्रेस टिकट पर विधानसभा चुनाव लडक़र अपनी जमानत जब्त करवा चुके हैं। डॉ. चन्द्रभान अब तक 9 बार विधानसभा एवं 1 बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, मगर सिर्फ 2 बार ही विधानसभा चुनाव जीत पाए हैं। चुनावों में 5 बार उनकी जमानत जब्त हो चुकी है, जो उनका सबसे कमजोर पक्ष माना जा रहा है।
सूरजगढ़ से कांग्रेस के पूर्व विधायक श्रवण कुमार भी अपनी दावेदारी जता रहे हैं, लेकिन हाल में पिछले विधानसभा चुनाव में वे चुनाव हार गए थे। झुंझुनूं में मुस्लिम मतदाता भी काफी तादाद में हैं जिनको लेकर रियाज फारुकी भी अपनी दावेदारी जता रहे हैं। गत 40 वर्षों से कांग्रेस में काम कर रहे फारुकी की साफ छवि मानी जाती है। झुंझुनूं राजस्थान में ऐसा लोकसभा क्षेत्र है, जहां से 1984 एवं 1991 में 2 बार कैप्टन अयूब खान 2 बार लोकसभा चुनाव जीतकर राजस्थान के पहले मुस्लिम सांसद बने थे।
भाजपा में भी टिकट के दावेदारों की लंबी कतार है। सांसद संतोष अहलावत का संगठन में विरोध हो रहा है। गत विधानसभा चुनाव लड़ चुके अधिकांश नेता भी उनका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने अपने जेठ के बेटे सुदेश अहलावत को झुंझुनूं नगर परिषद का सभापति बनवाया, जो उनके लिए सबसे बड़ा घाटे को सौदा माना जा रहा है। नगर परिषद की कार्यप्रणाली से शहर का आम आदमी परेशान रहा है।
राजस्थान सैनिक कल्याण सलाहकार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रेमसिंह बाजौर, मंडावा विधायक नरेन्द्र कुमार, उपजिला प्रमुख बनवारीलाल सैनी भी भाजपा उम्मीदवार के रूप में अपनी दावेदारी जता रहे हैं। मंडावा विधायक नरेन्द्र कुमार मलसीसर में बनने वाले सरकारी कॉलेज के भवन पर खर्च होने वाली 6 करोड़ की राशि खुद वहन कर रहे हैं।
उपजिला प्रमुख बनवारीलाल सैनी पूर्व में भाजपा से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं तथा पिछले विधानसभा में उनको नवलगढ़ से भाजपा ने टिकट दिया था, मगर स्थानीय लोगों के विरोध के चलते उन्होंने टिकट लौटा दी थी। वे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी के भी करीबी माने जाते हैं। बाजौर सीकर जिले के नीम का थाना से 2 बार विधायक रहे हैं तथा पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके हैं, मगर उन्होंने गत 5 साल से झुंझुनूं जिले के हर गांव में शहीद गौरव यात्रा को लेकर भ्रमण किया है।
अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में से 10 बार कांग्रेस एवं 6 बार उसके विरोधी दलों के प्रत्याशी जीत चुके हैं। भाजपा प्रदेश में जहां मिशन 25 लेकर चल रही है वहीं कांग्रेस भी पूरी ताकत से चुनाव लड़कर सभी सीटें जीतने का दावा कर रही है। (वार्ता)