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Last Updated : बुधवार, 3 अप्रैल 2019 (18:54 IST)

राजस्थान से अब तक 17 महिलाएं ही पहुंचीं लोकसभा

राजस्थान से अब तक 17 महिलाएं ही पहुंचीं लोकसभा - Lok Sabha Elections 2019 Rajasthan
जयपुर। विभिन्न राजनीतिक दल महिला सशक्तिकरण की बातें भले ही करते हों, लेकिन राजनीति में उनकी स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राजस्थान से अब तक सिर्फ 17 महिलाएं ही लोकसभा पहुंच पाई हैं।
 
राज्य में 1952 से 2014 तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में मतदाताओं ने 28 बार महिलाओं को चुनाव जिताया है। भाजपा की नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 5 बार लोकसभा पहुंचीं। राजे ने झालावाड़ क्षेत्र से 1989 से 1999 तक लगातार पांच चुनावों में अपनी जीत दर्ज कराई। उनके अलावा कांग्रेस की नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास ने जीत का चौका लगाया है।
 
डॉ. व्यास ने 1991, 1996, 1999 में उदयपुर से तथा 2009 में चित्तौड़गढ़ से लोकसभा चुनाव जीता। जयपुर की पूर्व महारानी गायत्री देवी ने जयपुर से स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी के रूप में 1962 से 1971 तक लगातार तीन बार चुनाव में जीत हासिल की।
 
कांग्रेस की निर्मला कुमारी चित्तौड़गढ़ से 1980 तथा 1984 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं। इसी प्रकार उषा देवी ने सवाई माधोपुर (सुरक्षित) सीट पर 1996 एवं 1998 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर जीत हासिल की जबकि 12 महिलाओं को एक-एक बार लोकसभा पहुंचने का अवसर मिला।
 
वर्ष 1967 में जोधपुर की पूर्व महारानी कृष्णा कुमारी ने जोधपुर से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया की पत्नी इंदुबाला सुखाड़िया ने 1984 में उदयपुर से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में, पूर्व महारानी और भाजपा उम्मीदवार महेन्द्र कुमारी 1991 में अलवर से, पूर्व पर्यटन मंत्री कृष्णेन्द्र कौर (दीपा) भरतपुर से भाजपा, 1996 में पूर्व महारानी दिव्या सिंह 1996 में भरतपुर से भाजपा,  महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष प्रभा ठाकुर 1998 में अजमेर से, जसकौर मीणा 1999 में सवाई माधोपुर से भाजपा, पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी उदयपुर से भाजपा एवं सुशीला जालौर से भाजपा, वर्ष 2009 में ज्योति मिर्धा नागौर से कांग्रेस एवं चन्द्रेश कुमारी जोधपुर से कांग्रेस तथा वर्ष 2014 के 16वीं लोकसभा चुनाव में संतोष अहलावत झुंझुनूं संसदीय क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतीं। 
      
डॉ. गिरिजा व्यास 1998, 2004 एवं 2014 में लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह निर्मला कुमारी 1989 में चुनाव हार गईं। इंदुबाला सुखाड़िया को 1989, महेन्द्र कुमारी को 1998, प्रभा ठाकुर को 1999, ऊषा देवी को 1999, किरण माहेश्वरी को 2009, जसकौर को 2004 तथा संतोष अहलावत को 2004 में चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा।
 
अब तक हुए सोलह लोकसभा चुनावों में से 1957 में दूसरी एवं 1977 छठी लोकसभा चुनाव में एक भी महिला प्रत्याशी ने चुनाव मैदान में नहीं उतरी। अब तक 180 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। डॉ. व्यास तथा निर्दलीय प्रत्याशी मेहमूदा बेगम अब्बासी ने सबसे अधिक सात सात बार चुनाव लड़ा। व्यास ने चार बार जीत दर्ज की, लेकिन मेहमूदा बेगम हर बार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाईं।
 
इन चुनावों में कांग्रेस ने सबसे अधिक 27 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा, जबकि भाजपा ने 19 महिलाओं को चुनाव लड़ने का मौका दिया। इन दोनों प्रमुख दलों की महिला उम्मीदवारों ने बराबर 12-12 बार चुनाव जीता, जबकि स्वतंत्र पार्टी ने तीन तथा एक बार  निर्दलीय उम्मीदवार ने बाजी मारी।
 
इन प्रमुख दोनों दलों के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा), जनता पार्टी, जनता दल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (एल) सीपीआई, आरजेडी, समाजवादी पार्टी तथा अन्य दलों ने अपने महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली और सभी की जमानत जब्त हो गई। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में जमींदारा पार्टी की शिमला देवी नायक ने एक लाख से अधिक मत हासिल किए, लेकिन उन्हें भी जमानत खोनी पड़ी।
 
राज्य में पहले लोकसभा चुनाव में केवल दो महिलाओं ने चुनाव लड़ा, जिसमें जनसंघ की रानी देवी भार्गव एवं निर्दलीय शारदा बाई दोनों ही अपनी जमानत नहीं बचा पाईं। इसके बाद तीसरी लोकसभा के चुनाव में छह महिलाओं ने चुनाव लड़ा उनमें एक महिला ने चुनाव जीता जबकि 1967 में दो महिलाओं में एक, वर्ष 1971 में चार में दो, 1980 में पांच में एक, 1989 में 6 में दो, 1989 में 6 में एक, 1991 में 14 में केवल दो, 1996 में 25 में 4, 1998 में 20 में 3 1999 में 15 में 3, 2004 में 17 में 2, 2009 में 31 में 3 तथा वर्ष 2014 में 27 महिला प्रत्याशियों में केवल एक महिला ही चुनाव जीत पाई। (वार्ता)