गुरुवार, 21 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. साहित्य
  4. »
  5. विजयशंकर की कविताएँ
Written By WD

समय गुजरना है बहुत

विजयशंकर चतुर्वेदी

समय गुजरना है बहुत -
NDND
बहुत गुजरना है समय

दसों दिशाओं को रहना है अभी यथावत

खनिज और तेल भरी धरती

घूमती रहनी है बहुत दिनों तक

वनस्पतियों में बची रहनी हैं औषधियाँ

चिरई-चुनगुन लौटते रहने हैं घोंसलों में हर शाम

परियाँ आती रहनी हैं हमारे सपनों में बेखौफ

बहुत हुआ तो किस्से-कहानियों में घुसे रहेंगे सम्राट

पर उनका रक्तपात रहना है सनद

और वक्त पर हमारे काम आना है

बहुत गुजरना है समय।