क्यों तेरे हाथों से मेरी अंगुली छूट गई
- लक्ष्मी नारायण खरे
मां क्यों तू मुझसे रूठ गईक्यों तेरे हाथों से मेरी अंगुली छूट गईक्यों तेरी ममता पे मेरा अधिकार नहींक्यों बेटों के जितना मुझपे तेरा प्यार नहींपराई नहीं मैं अपना के देखो मांअंश हूं तुम्हारा गले लगा के देखो मांकैसे समझ लिया तूने तेरी किस्मत फूट गईक्यों तेरे हाथों से मेरी अंगुली छूट गई। नैन है बेटा तो बेटी है दृष्टिनिर्माण है बेटा तो बेटी है सृष्टिबेटी बिन कैसे बहू तुम लाओगीकैसे बोलो फिर वंश तुम चलाओगीक्यों बेटी की ममता-बेल तेरे हृदय में सूख गईक्यों तेरे हाथों से मेरी अंगुली छूट गई। बेटा है भाग्य तो बेटी विधाताबेटा है उत्पत्ति तो बेटी है माताबेटा है गीत तो बेटी संगीतबल है बेटा तो बेटी है जीतबेटी के प्रेम की नैया क्यों भेदभाव में डूब गईक्यों तेरे हाथों से मेरी अंगुली छूट गई। शब्द है बेटा तो बेटी है अर्थजाति है बेटा तो बेटी है धर्मदीपक है बेटा तो बेटी है ज्योति हीरा है बेटा तो बेटी है मोतीआज संभलने से पहले मां तेरी बेटी टूट गईक्यों तेरे हाथों से मेरी अंगुली छूट गई।