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मेरा सांवला रंग
फाल्गुनी
इतना भी सांवला नहीं था मेरा रंगकि चढ़ जाए मुझसे उतर कर मेरे घरवालों के मन पर, पर ऐसा हुआ जब तुमने बिना कुछ कहे घर के लोगों को समझा दिया कि नहीं हो सकती मेरी शादी तुमसे, तुम अगर इतने गोरे नहीं होते
तो शायद मना नहीं करतेलेकिन सवाल होने वाले बच्चों का भी तो है, मेरे तन का रंग इस बार घर में नहीं फैला वहां तो 35 बरस से बिखरा पड़ा है, आज तक नहीं समेटा गया... इस बार मुझसे उतर कर मेरे रिश्तों के मन पर चढ़ा, कुछ इस तरह कि मुझसे अब आईना नहीं देखा जाता। कुछ सुना तुमने?