शनिवार, 20 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. Stress
Written By

दुनिया भर में बढ़ रहा है तनाव

दुनिया भर में बढ़ रहा है तनाव | Stress
सांकेतिक चित्र
मध्यपूर्व और अफ्रीकी देशों में फैली हिंसा और तनाव का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है। ग्लोबल पीस इंडेक्स के ताजा आंकड़े बताते हैं कि साल 2017 में दुनिया के किस मुल्क में अशांति रही तो किसे सुकून कायम करने में सफलता मिली।
 
 
शांति बनाम तनाव
ऑस्ट्रेलिया के इंस्टीट्यूट एंड पीस (आईईपी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2017 में यूरोप दुनिया का सबसे शांत क्षेत्र रहा। वहीं मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीकी देशों में तनाव और हिंसा में वृद्धि देखी गई। कुल मिलाकर अशांति हावी रही।
 
 
वैश्विक शांति को खतरा
आईईपी के मुताबिक वैश्विक शांति में लगातार गिरावट नजर आ रही है। यह सतत है और पिछले एक दशक से चल रही है। रिपोर्ट में कहा गया है, "मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीका के विवादों का असर दुनिया के अन्य हिस्सों में भी दिखा है। जो वैश्विक शांति के लिए खतरा है।"
 
 
ग्लोबल पीस इंडेक्स
आईईपी का ग्लोबल पीस इंडेक्स बताता है कि 2017 में 92 देशों ने शांति दर में गिरावट महसूस की। वहीं सिर्फ 71 देशों में स्थितियां सुधरीं। आईईपी प्रमुख स्टीव किलेलिया ने कहा कि यह ट्रेंड दुनिया में पिछले चार सालों से बना हुआ है।
 
 
उत्तरी अफ्रीका अशांत
ग्लोबल पीस इंडेक्स के मुताबिक मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीकी देश दुनिया के सबसे अशांत क्षेत्रों में रहे। इंडेक्स में सीरिया, अफगानिस्तान, दक्षिणी सूडान, इराक, सोमालिया जैसे देशों को सबसे निचले पायदानों पर रखा गया है।
 
 
कुछ सुधार भी
रिपोर्ट मुताबिक सब-सहारा अफ्रीकी देशों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। लाइबेरिया, बुरुंडी, सेनेगल इंडेक्स में शामिल उन देशों में से हैं जिनकी स्थिति बेहतर हुई है। अफ्रीका का मुख्य क्षेत्र आम तौर से सब-सहारा कहलाता है। इसमें मुख्यत: उत्तर अफ्रीका के इस्लामी देश जैसे मिस्र, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को, लीबिया शामिल नहीं हैं।
 
 
यूरोप में सुकून
सुकून भरे देशों के टॉप 5 नामों में न्यूजीलैंड को छोड़कर सभी चार नाम यूरोपीय देशों के हैं। इसमें आइसलैंड, ऑस्ट्रिया, पुर्तगाल, डेनमार्क शामिल है। जर्मनी को इंडेक्स में 17वां स्थान मिला है।
 
 
कम नहीं आर्थिक नुकसान
तमाम थिंक टैंक, रिसर्च इंस्टीट्यूट, सरकारी कार्यालयों और यूनिवर्सिटियों से जुटाए गए डाटा के आधार पर आईईपी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर हिंसा के आर्थिक नुकसान की भी चर्चा की। 2017 में युद्ध और हिंसा के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था पर 14,800 अरब डॉलर का बोझ पड़ा। कुल मिलाकर 2000 डॉलर प्रति व्यक्ति नुकसान।
 
 
अर्थव्यवस्था में इजाफा
स्टडी कहती है कि अगर सीरिया, दक्षिणी सूडान और ईराक जैसे अशांत क्षेत्रों में भी आइसलैंड और न्यूजीलैंड जैसे देशों की तरह शांति स्थापित हो जाए तो यह उन देशों की अर्थव्यवस्था में प्रति व्यक्ति दो हजार डॉलर का इजाफा करेगी।
 
 
कितना नुकसान
पिछले दस सालों में दुनियाभर में विवाद और तनाव बढ़ा है। पिछले एक दशक के दौरान युद्ध क्षेत्रों में होने वाली मौतों में 246 फीसदी की वृद्धि हुई। वहीं आतंकवाद के मामले में यह बढ़ोतरी तकरीबन 203 फीसदी की रही।
 
 
क्या है पैमाना
ग्लोबल पीस इंडेक्स को 23 पैमानों पर नापा जाता है। इसमें समाज में सुरक्षा, मौजूदा विवाद, सैन्यीकरण आदि प्रमुख है। इसके साथ हत्याओं के आंकड़ें से लेकर किसी देश की जेल में बंद कैदियों, पुलिस अधिकारियों आदि का डाटा भी जुटाया जाता है।
 
ये भी पढ़ें
मेघालयः जमीन का टुकड़ा है सिख-खासी विवाद की वजह