सुपरफूड चिया यानि तुकमलंगा
चिया बीज मूल रूप से मध्य अमेरिका से आये हैं। उन्हें प्रोटीन और ओमेगा 3 की बहुतायत के कारण सुपर फूड कहा जाता है। अब अफ्रीकी किसानों ने भी इसकी खूबी पहचान ली है, खासकर यूरोप में निर्यात के लिए।
चिया ही क्यों
जर्मन बाजार भी खूब है। चीज कहीं की हो अगर फायदेमंद हो तो यहां जरूर मिलती है। चिया बीज इस समय लोकप्रिय हो रहा है। चाहे मुसली हो, दही या ब्रेड हो, इसका इस्तेमाल हर कहीं हो रहा है। इन बीजों में प्रोटीन और अच्छे वसा की अधिकता है।
पावर सीड
लेकिन यूरोप में मिलने वाला चिया सीड लंबी दूरी तय कर यहां के बाजारों में पहुंचता है। पहले रागी जितने दिखने वाले ये बीज मध्य और दक्षिण अमेरिका से आते थे, अब अफ्रीकी देश उगांडा से आ रहे हैं। सेज उगांडा के रोबर्ट ओकेलो कहते हैं, "चिया का बड़ा बाजार है।"
परंपरागत अनाज से ट्रेंडी सीड
सेज उगांडा ने पंच साल पहले उगांडा में चिया की खेती शुरू की। शुरू का दौर बहुत मुश्किल था। छोटे किसानों को मक्के की परंपरागत खेती छोड़कर चिया की खेती करने के लिए राजी करवाना आसान नहीं था। लेकिन अब उन्होंने इस मौके को पहचान लिया है।
मुख्य आमदनी
बहुत से किसानों के लिए चिया की फसल इस बीच आमदनी का मुख्य जरिया हो गया है। 41 वर्षीया किसान एलिजाबेथ नटोचो बताती है कि पहले मक्के की खेती होती थी, मुख्य रूप से परिवार के लिए। अब वह 42 हेक्टर पर चिय़ा की खेती करती हैं। बड़ा हिस्सा निर्यात होता है।
मक्के से चिया
मक्के की खेती छोड़कर चिया की खेती शुरू करने की वजह यह है कि खेती आसान हो और कीमत बेहतर मिलती है। चिया को खाद नहीं चाहिए, पानी भी कम लगता है। सेज उगांडा इस बीच 8900 छोटे किसानों के साथ काम करता है और 500 टन चिया का निर्यात करता है।
बढ़ रही है है मांग
अभी भी चिया उपजाने वाले अफ्रीकी देश मध्य अमेरिकी देशों से मुकाबला नहीं कर सकते। पिछले साल जर्मनी में दक्षिण अमेरिका से अफ्रीका के मुकाबले दोगुना चिया खरीदा गया। लेकिन अफ्रीकी निर्यात लगातार बढ़ रहा है।