बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. brazil and india
Written By
Last Modified: सोमवार, 6 अगस्त 2018 (11:45 IST)

बहुत मामलों में भारत जैसा लगता है ब्राजील

बहुत मामलों में भारत जैसा लगता है ब्राजील | brazil and india
ब्राजील का नाम आते ही जेहन में फुटबॉल और कार्निवाल घुमड़ने लगता है। लेकिन ब्राजील के कई और रंग हैं। जानिए विदेशी पत्रकारों की नजर से ब्राजील को।
 
 
ब्राजीलियाई जुगाड़
मुश्किलों या बाधाओं को बड़े ही रोचक ढंग से सुलझा लेना, ब्राजील में ऐसा अक्सर होता है। जब किसी को यह लगता है कि उसने सब कुछ करके देख लिया लेकिन उपाय नहीं मिल रहा है, तब ब्राजीलियाई जुगाड़ काम आता है। लेकिन ऐसा हमेशा अच्छे काम के लिए ही नहीं होता।
 
 
देरी से आना जाना आम बात
अगर आप किसी ब्राजीलियाई शख्स से मिलने वाले हैं तो बहुत संभव है कि वह कुछ मिनट देर से ही आएगा, कभी कभी कुछ घंटे की देरी भी हो सकती है। ब्राजील में ऐसा होना आम बात है।
 
भंयकर ठंडी बीयर
ब्राजील में अगर बीयर बहुत ही ज्यादा ठंडी न हो तो लोग भौंहे सिकोड़ सकते हैं। वहां बीयर भी बड़ी बोतल में मिलती है और गिलास में उड़ेलकर बांटी जाती है।
 
चावल और बीन की दीवानगी
ब्राजील में मेहमानों की आवभगत के दौरान आप भले ही कितने ही प्रकार का भोजन परोसें, इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। लेकिन चावल और बीन्स आपको परोसने ही होंगे। ब्राजील के लोगों को चावल और बीन्स बहुत पंसद है।
 
सांबा
ब्राजील में सिर्फ सांबा ही नहीं होता। देश में कई तरह के डांस लोकप्रिय हैं। लेकिन विदेशों में सांबा ही सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं। हालांकि सारे ब्राजीलियाई सांबा करते होंगे, ये समझना गलत है।  
 
कार्निवाल का देश
ब्राजील का जिक्र आते ही जेहन में कार्निवाल भी आता है। दुनिया भर का मीडिया इसे कवर करता है। लेकिन आधे से ज्यादा ब्राजीलियाई कहते हैं कि कार्निवाल से उनका कोई लेना देना नहीं।
 
धैर्य और उम्मीद
निराशा हाथ लगने पर ब्राजील के लोग आम तौर पर चिंता में नहीं डूब जाते। उन्हें लगता है कि "अंत में सब ठीक हो जाएगा" और इसी उम्मीद में वे इंतजार करते हैं। गैलप ने 138 देशों में सर्वे करने के बाद ब्राजील के लोगों को सबसे ज्यादा आशावादी करार दिया।
 
बातचीत और मस्तमौला
ब्राजील के लोग जीवन का आनंद लेना जानते हैं, उन्हें बातचीत करना, मुलाकातें करना और साथ में खाने पीने का शौक होता है। हालांकि यह कह देना कि सारे ब्राजीलियाई ऐसे ही होते हैं, गलत होगा।
 
शर्म या झिझक
ब्राजीलियाई विवाद या मतभेद की स्थिति में साफ साफ बात नहीं करते। वो शांत रहकर स्थिति को टालने की कोशिश करते हैं। विनम्र होना अच्छा है लेकिन सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस होना चाहिए।
 
सोशल नेटवर्किंग का खुमार
व्हाट्सऐप, फेसबुक, स्नैपचैट या इंस्टाग्राम आप जो नाम लेंगे आपको ब्राजील के लोग वहां दिखाई पड़ेंगे। जर्मनी में लोग सोशल मीडिया पर बहुत ही पर्सनल जानकारी देने से बचते हैं, लेकिन ब्राजीलियाई सब कुछ बताते हैं। 2012 के शोध के मुताबिक फेसबुक की सबसे ज्यादा लत ब्राजील के लोगों को ही लगी है।
 
पुरुष प्रधान समाज
ब्राजीलियाई पुरुष प्यार का इजहार करने से चूकते नहीं है। पार्टी में अगर कोई सिंगल महिला हो तो कोई न कोई उससे फ्लर्ट करने की कोशिश जरूर करेगा। ब्राजील के समाज में पुरुष प्रधानता साफ झलकती है। महिला अगर इनकार कर दे तो मर्द बड़ी मुश्किल से इस बात को हजम कर पाते हैं।
 
रंग बिरंगा लोकतंत्र
इतालवी, जर्मन, जापानी, अफ्रीकी, पुर्तगीज या ब्राजीलियाई मूल के लोग, ब्राजील इन्हीं से मिलकर बना है। यूरोपीय देशों को भले ही आप्रवासियों का समाज में समेकन मुश्किल लगे लेकिन ब्राजील में यह बड़े आराम से दिखाई पड़ता है। लेकिन इसके बावजूद अश्वेत लोगों के साथ वहां भी भेदभाव की शिकायतें आती रहती हैं।
 
खूबसूरती की जंग
परफेक्ट नाखून, हफ्ते में एक बार ब्यूटी पार्लर का चक्कर लगाना और फिर दर्पण के सामने घंटों बिताना। ब्राजील की महिलाओं को खुद को संवारना बेहद पंसद है। कॉस्मेटिक कंपनी एवोन के अंतरराष्ट्रीय शोध के मुताबिक दुनिया भर में ब्राजील की महिलाएं ही अपनी सुंदरता की सबसे ज्यादा परवाह करती हैं।
 
गर्व और शर्म एक साथ
ब्राजील के लोगों को अपनी राष्ट्रीयता पर गर्व भी होता है और शर्म भी आती है। एक तरफ लोग जहां ब्राजील की संस्कृति और हर चीज से प्यार करते हैं। वहीं दूसरी तरफ उन लोगों को अपने देश पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं है। लेखक नेलसन रोड्रिगेज इसे ब्राजीलियाई लोगों का "मट कॉम्पेक्स" कहते हैं।
 
ये भी पढ़ें
पं. जवाहरलाल नेहरू की सलाह पर जारी हुआ था अनुच्छेद 35A, सरदार पटेल ने किया था मना