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Written By DW

'भारतीय था पहला प्लास्टिक सर्जन'

भारतीय प्लास्टिक सर्जक
एक भारतीय खोजकर्ताओं ने दावा किया है कि दुनिया में प्लास्टिक सर्जरी सबसे पहले भारत में हुई और वो भी 600 ईसा पूर्व में। कहा जा रहा है कि तब उत्तर भारत में चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी शुरू हो गई थी।

इस दावे को पुख्ता करने के लिए कई आधिकारिक दस्तावेज भी दिल्ली में साइंस एंड टेक्नोलॉजी हेरिटेज प्रदर्शनी में लगाए गए हैं। एक खोजकर्ता एनआर अय्यर का कहना है, 'हम अतीत में साम्राज्यवाद के अधीन रहे हैं इसी वजह से हमारे छात्रों का ध्यान पश्चिमी विज्ञान और तकनीक पर जाता है, लेकिन हम दुनिया को बताना चाहते हैं कि भारत में हजारों साल पहले क्या क्या खोजा जा चुका था।'

पेशे से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर अय्यर के दावे के मुताबिक भारत में प्लास्टिक सर्जरी की शुरुआत सुश्रुत ने की। ये खोज सुश्रुत ने 'फादर ऑफ मेडिसिन' कहे जाने वाले ग्रीस के हिप्पोक्रेट्स से भी पहले कर ली थी। अय्यर कहते हैं कि यही वजह है कि भारत में आज भी कई अस्पतालों का नाम सुश्रुत है।

आधिकारिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए अय्यर कहते हैं कि उत्तर भारत में माथे से त्वचा निकाल कर उसे चेहरे पर दूसरी जगह इस्तेमाल किया जाता था। उस वक्त अपराधियों को सजा देने के लिए उसकी नाक काट दी जाती थी।

सुश्रुत संहिता में 650 प्रकार की दवाओं का जिक्र है, 42 किस्म की सर्जरी और 300 तरह से ऑपरेशन की व्याखा है। पुराने ऐतिहासिक दस्तावेजों में ये भी कहा गया है कि सर्जरी और ऑपरेशन करने के लिए 121 प्रकार के औजारों का इस्तेमाल किया जाता था।

इससे पहले भारतीय चिकित्सा शास्त्र के बारे में जानकारी वेदों और चरक संहिता जैसी किताबों से ही मिली थी। कहा जाता है कि इन किताबों में ये जानकारी 3000 से 1000 ईसा पूर्व दर्ज हो गई थी।

इस प्रदर्शनी को लगाने में मदद करने वाले मनोचिकित्सक मानस बागची का कहना है कि इसकी मदद से प्राचीन काल में खगोल शास्त्र, गणित और दूसरे विज्ञान में भारत की उपलब्धियों को दुनिया के सामने लाने की कोशिश की गई है।

उनका दावा है कि भारत में ही सबसे पहले शून्य से लेकर नौ तक के अंकों को बनाया गया। प्रदर्शनी के आयोजकों का दावा है कि भारत में ही सबसे पहले कई तरह की खेती और खगोल शास्त्र की शुरुआत हुई।

ये प्रदर्शनी अब दिल्ली में साल भर तक यानी कॉमनवेल्थ खेलों तक चलती रहेगी। आयोजकों का कहना है कि कॉमनवेल्थ खेलों की तैयारी के मद्देनजर इस प्रदर्शनी का मकसद दुनिया और भारत के लोगों को देश के इतिहास, खोज और विज्ञान के बारे में छिपी हुई जानकारी देना है।

- एजेंसियाँ/ओ सिंह