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Written By DW

पानी की मौजूदगी का पता लगाएगा स्मोस

अंतरिक्ष यान
यूरोप का एक उपग्रह पृथ्वी के इर्दगिर्द पानी की मौजूदगी को समझने के लिए रवाना किया गया है। इससे पहले ये अंतरिक्ष यान मिट्टी में नमी की परख करेगा और महासागरों में नमक की मात्रा को जाँचेगा।

इस आँकड़े का इस्तेमाल मौसम के पूर्वानुमानों को सुधारने और बाढ़ जैसी विपदाओं की चेतावनी बेहतर करने के लिए किया जाएगा। स्मोस नाम के इस यान ने सोमवार को उड़ान भरी। यूरोपीय स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिकों का कहना है कि स्मोस का मिशन बहुत चुनौतीपूर्ण है। इसके साथ एक बिलकुल नया उपकरण जोड़ा गया है।

खारेपन की माप : इस उपकरण का नाम है 'इंटरफेरोमीट्रिक रेडियोमीटर'। इसे मिरास भी कहा जाता है। आठ मीटर के फैलाव वाले इस उपकरण का आकार हेलिकॉप्टर के रोटर ब्लेडों जैसा है। मिरास धरती की सतह से उठने वाले प्राकृतिक माइक्रोवेव उत्सर्जन के बदलावों का परीक्षण कर जमीन के गीलेपन में आने वाले परिवर्तनों और समुद्र के पानी के खारेपन की माप करेगा। यान में 69 एंटीना भी लगे हैं।

जल वाष्प चक्र को समझाएगा : वैज्ञानिकों का कहना है कि स्मोस के डैटा से वायुमंडल के जल चक्र को समझने में बड़ी मदद मिलेगी कि किस तरह पानी जमीन और समुद्र की सतह और वायुमंडल में आवाजाही करता रहता है। इस आँकड़े का फायदा कृषि और जल संसाधन प्रबंधन के अध्ययनों में भी किया जाएगा।

...और उपग्रह भेजे जाएँगे : ये उपग्रह यूरोपीय स्पेस एजेंसी की उन आठ परियोजनाओं का हिस्सा हैं, जिनके तहत विभिन्न सैटेलाइट पृथ्वी की भौगौलिक भूगर्भीय संरचना को समझने का काम करेंगे। इनमें से पहला पहले से ही अंतरिक्ष में है, जो पृथ्वी की सतह पर गुरुत्व के खिंचाव की विभिन्नताओं को परख रहा है। स्मोस इस श्रेणी का दूसरा उपग्रह है। फरवरी में इस सिरीज का तीसरा उपग्रह क्रायोसेट छोड़ा जाएगा।