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Written By Author शराफत खान

क्या धोनी युग बीत गया....

क्या धोनी युग बीत गया.... - msdhonierahasgone
भारतीय क्रिकेट टीम के वनडे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बारे में एक समय कहा जाता था कि वो जिसे भी हाथ लगा दें, वह सोना हो जाए। 2007 में टी 20 वर्ल्ड कप जीत, 2008 में ऑस्ट्रेलिया में ट्राएंगुलर सीरीज़, 2011 में वर्ल्ड कप खिताबी जीत के बाद धोनी के मिडास टच की बातें आम थीं। 
 
2014 के अंत में धोनी ने ऑस्ट्रेलिया में चलते टेस्ट मैच में टीम की कप्तानी छोड़ दी और बस यहीं से मिडास टच कहीं खो गया। भारतीय क्रिकेट कप्तानों में धोनी का नाम शीर्ष सूची में है, लेकिन जिस तरह उनकी टेस्ट क्रिकेट से विदाई हुई, उससे धोनी के फैन निराश हुए।  
 
धोनी ने इंडियन प्रीमियर लीग में भी आठ सीज़न तक अपनी टीम को सबसे अधिक सफल टीम बनाया। धोनी की टीम आठ सीज़न में दो खिताबी जीत, चार बार रनर अप और हर सीज़न में सेमीफाइनल तक पहुंची है। यह साधारण सफलता नहीं। 
 
यहां तक तो हुई धोनी की तारीफ, लेकिन फिलहाल जो स्थिति धोनी की है, वह किसी से छिपी नहीं है। आईपीएल के नौवें सीज़न में धोनी की टीम पर बाहर होने का खतरा है। 
 
धोनी का फॉर्म अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी फॉर्म उस स्तर का नहीं रहा और आईपीएल में वे अपनी टीम को उस तरह लीड नहीं कर पा रहे हैं, जिसके लिए वे जाने जाते हैं। 
 
धोनी की वनडे और टी 20 कप्तानी भी खतरे में है। पूर्व कप्तान सौरव गांगुली कह चुके हैं कि जिस तरह विराट कोहली प्रदर्शन कर रहे हैं, उसे देखकर धोनी को कप्तानी छोड़ देनी चाहिए। 
 
क्या धोनी ने टेस्ट टीम की कमान छोड़कर गलती की? क्या धोनी ने खुद की फिनिशर वाली इमेज बनाकर गलती की? क्या धोनी से यह भी गलती हुई कि कप्तान रहते हुए वे खुद को ऊपरी क्रम के बल्लेबाज के तौर पर स्थापित नहीं कर पाए? क्या धोनी खुद के नाम बहुत से शतक नहीं लिखवा सकते थे? टी 20 क्रिकेट के इस महान कप्तान के नाम इस फॉर्मट में एक अदद अर्धशतक भी नहीं है और ऐसा इसलिए क्योंकि वे बहुत निचले क्रम पर बल्लेबाजी करने आए। 
 
धोनी के पास मौका तो था कि वे ऊपर के नंबर पर बल्लेबाजी करके अपने वनडे शतकों की संख्या 9 से कहीं अधिक बढ़ा सकते थे। इसी तरह 90 टेस्ट में उन्होंने केवल 6 शतक लगाए, यह संख्या भी कहीं ज्यादा हो सकती थी। 
 
धोनी ने शायद आंकड़ों की बाजीगरी नहीं की, वरना वनडे में भी उनके नाम 10 से 12 हज़ार रन और 20 से 25 शतक जरूर होते। वर्तमान हालात धोनी के पक्ष में नहीं हैं। उनकी बल्लेबाजी उस स्तर की नहीं हैं, कप्तानी के प्रयोग नहीं चल रहे हैं। क्या धोनी युग का अंत नजदीक है? 
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