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चैम्पियंस ट्रॉफी 2017 : पाकिस्तान को 'तोहफे' में मिला सेमीफाइनल का टिकट...

चैम्पियंस ट्रॉफी 2017 : पाकिस्तान को 'तोहफे' में मिला सेमीफाइनल का टिकट... - Champions Trophy , Pakistan Sri Lanka match
पाकिस्तान के कप्तान सरफराज : नाबाद 61 रन 
सीमान्त सुवीर 
यह समझ पाना थोड़ा कठिन लग रहा है कि श्रीलंका के खिलाफ पाकिस्तान 3 विकेट से मैच जीता या फिर किसी 'बड़ी डील' के तहत श्रीलंका ने उसे तोहफे में चैम्पियंस ट्रॉफी में सेमीफाइनल का टिकट दे डाला...जिस प्रकार से सोमवार को यह मैच खेला गया और श्रीलंका के क्षेत्ररक्षकों ने पाक कप्तान सरफराज के दो'लड्‍डू कैच' छोड़े, उसे देखकर तो कोई छोटा बच्चा भी ये कहने का हक रखता है कि पाकिस्तान जीता नहीं, बल्कि उसे जिताया गया है।  
 
कार्डिफ में खेले गए इस मैच में पाकिस्तान 162 पर सात विकेट खोकर बुरी तरह दबाव में था और जीत के लिए उसे 75 रन चाहिए थे। मैदान पर कप्तान सरफराज का साथ निभाने के लिए गेंदबाज आमिर पहुंचे। जब पाकिस्तान जीत से 43 रन दूर था, तब नाटक का पहला दृश्य देखने को मिला। लसित मलिंगा की गेंद पर थिसारा परेरा ने बेहद आसान कैच टपकाया। तब सरफाराज 38 रन के निजी स्कोर पर थे। यदि यहां उनका कैच लपक लिया गया होता तो श्रीलंका की जीत आसान हो जाती..
 
मैदान पर नाटक का दूसरा दृश्य जल्दी ही देखने को मिला। जब सरफराज 41 रन पर थे, तब प्रसन्ना ने गेंद हाथों में आने के बाद भी अंगुलियां बंद नहीं की...इस बार भी गेंदबाज मलिंगा ही थे। क्या प्रसन्ना को यह समझाना पड़ेगा कि कैच लपकने के लिए हथेलियों को जब तक अंगुलियां बंद नहीं करेगी, वो तो नीचे गिर जाएगा...वाह! कितने खूबसूरत अंदाज में श्रीलंका ने पाकिस्तान को जिताने का स्वांग रचा..वाह! मानना पड़ेगा, खुली आंखों में धूल झोंकने वाले धूर्तो को...
 
कप्तान सरफराज ने 61 रनों की अवसरों से भरपूर वाली नाबाद पारी खेली जबकि आमिर 28 रन बनाकर नाबाद रहे। इन दोनों ने सातवें विकेट के लिए 90 गेंदों में अविजित भागीदारी भी की, जिसकी मदद से पाकिस्तान 7 विकेट पर 237 रन बनाकर यह मैच 31 गेंद शेष रहते जीत गया। 
 
मैदान पर और टीवी स्क्रीन पर मैच देखने वाले अंधे नहीं होते, यह बात श्रीलंका को समझनी होगी। क्रिकेट विशेषज्ञ सुनील गावस्कर भी मलिंगा की गेंद पर सरफराज के छूटे दो आसान कैचों पर हैरत में थे। और हैरत में वो लोग भी थे जो पाकिस्तान का समर्थन कर रहे थे और 162 रन पर 7 विकेट खोने के बाद जीत की उम्मीद छोड़ बैठे थे। 
 
ड्रेसिंग रूम में ठंड से कंपकपा रहे पाकिस्तान के गेंदबाजी कोच एलन डोनाल्ड ने नाक के नीचे तक जर्सी चढ़ा ली थी और कनटोपे से कान तक ढक लिए थे जबकि पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कोच मिकी आर्थर बार-बार हताश होकर अपना माथा ठोंक रहे थे। उन्हें भी भरोसा नहीं था कि श्रीलंका 'चांदी की तश्तरी' में यह जीत पाकिस्तान को परोस देगा.. असल में पाकिस्तान अपने शानदार प्रदर्शन से नहीं बल्कि श्रीलंका के क्षेत्ररक्षकों के अहसानों के कंधों पर चढ़कर चैम्पियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में पहुंचा है।
 
ठीक उसी तरह, जिस तरह भारत श्रीलंका के खिलाफ 50 ओवर में 6 विकेट पर 321 रन बनाकर भी नहीं जीत सका था और श्रीलंका ने 48.3 ओवर में 3 विकेट पर 322 रन बनाकर भारत से यह मैच झपट लिया था। कई बार यही लगता है कि मैदान पर खुद खिलाड़ी खेल रहे हैं या फिर उन्हें बाहर से बैठकर मैच खिलवाया जा रहा है?? 
 
श्रीलंका-पाकिस्तान के मैच से तो यही महसूस हुआ कि इन क्रिकेटरों की डोर किसी दूसरे के हाथ में है, जो उन्हें कठपुतली की तरह मैदान पर नचा रहा है...यदि ऐसा नहीं होता तो पहले तिसारा परेरा और फिर प्रसन्ना सरफराज का कैच नहीं छोड़ते और पाकिस्तान चैम्पियंस ट्रॉफी की दहलीज पर नहीं चढ़ा होता...
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