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Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 25 सितम्बर 2014 (00:07 IST)

बेदी ने मैच पूरा किए बगैर क्‍यों मान ली थी हार...

बेदी ने मैच पूरा किए बगैर क्‍यों मान ली थी हार... - Bishan Singh Bedi
नई दिल्ली। क्रिकेट में शायद ही कोई भी टीम अंतिम रन से पहले हार स्वीकार करने को तैयार हो लेकिन भारत के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी एकदिवसीय अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट में पहले ऐसे कप्तान थे जिन्होंने चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ मैच पूरा किए बगैर ही हार मान ली थी।
नवंबर 1978 में बेदी अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट मैच में स्वयं हार मानने वाले पहले कप्तान थे। पाकिस्तान के खिलाफ एकदिवसीय मैच में भारत के पास आठ विकेट बचे थे और उसे जीत के लिए चौदह गेंदों पर सिर्फ 23 रन बनाने थे। तेज गेंदबाज सरफराज नवाज द्वारा लगातार बाउंसर फेंके जाने से नाराज बेदी ने अपने बल्लेबाजों को वापस पैवेलियन बुला लिया। उनकी मांग थी कि सभी गेंदों को बाउंसर करार दिया जाए। हालांकि अंपायर द्वारा बाउंसर नहीं दिए जाने के कारण उन्होंनें मैच को आगे खेले बिना ही हार मान ली। 
 
बेदी का जन्म 25 सितम्बर 1946 को पंजाब के शहर अमृतसर में हुआ था। बेदी ने 1966 से लेकर 1979 तक टेस्ट क्रिकेट में देश का प्रतिनिधित्व किया और वे प्रसिद्ध भारतीय स्पिन चौकड़ी के अहम सदस्य थे। इस चौकड़ी में बेदी के अलावा प्रसन्ना, चंद्रशेखर और वेंकटराधवन थे। करीब पंद्रह वर्ष के किक्रेट करियर में बेदी ने 22 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी भी की। 
 
बेदी की स्पिन गेंदबाजी को छकाने वाला और कलात्मक माना जाता है। बेदी अपनी गेंदों को फ्लाइट कराने में बहुत माहिर थे। गेंद को उचित समय तक अपने पास रोकने एवं समय पड़ने पर तेजी से आगे बढ़ाने और लगातार बदलाव करने में बहुत कुशल थे। खेलते समय बेदी की क्रिया इतनी शांत और संतुलित होती थी कि वे पूरे दिन लय और संतुलन के साथ गेंदबाजी कर सकते थे।
 
टेस्ट टीम में पदार्पण करने के साथ ही बेदी ने अपनी उपस्थिति का अहसास कराना शुरू कर दिया था और उनकी गेंदबाजी का तोड़ खोजने में अच्छे-अच्छे विश्वस्तरीय बल्लेबाजों को नाकों चने चबाने पड़ते थे। बेदी को वर्ष 1976 में भारतीय टीम की कप्तानी सौंपी गई। बतौर कप्तान बिशन सिंह बेदी ने भारतीय टीम को पोर्ट ऑफ स्पेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ पहली और ऐतिहासिक जीत दिलाई थी। 
 
डेढ़ दशक लंबे क्रिकेट करियर में बेदी ने कुल मिलाकर 67 टेस्ट मैच खेले जिसमें उन्होंने 266 बल्लेबाजों को पैवेलियन का रास्ता दिखाया। इसके अलावा बेदी ने दस एकदिवसीय मैचों में भी देश का प्रतिनिधित्व किया जिसमें उन्होंने सात विकेट लिए।
 
क्रिकेट से संन्यास लेने के करीब एक दशक बाद बेदी ने वर्ष 1990 में भारतीय टीम के कोच का पद संभाला। हालांकि उनका कार्यकाल काफी संक्षिप्त रहा। बेदी भारत में पारंपरिक स्पिन गेंदबाज के स्तर पर आई गिरावट का कारण एकदिवसीय क्रिकेट,  आधुनिक क्रिकेट बल्ले और छोटे मैदानों को मानते हैं। साथ ही वे टी-20 क्रिकेट को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। (वार्ता)