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Last Modified: सोमवार, 3 जुलाई 2017 (19:51 IST)

सुप्रीम कोर्ट से टकराव मोल न ले बीसीसीआई : जेटली

सुप्रीम कोर्ट से टकराव मोल न ले बीसीसीआई : जेटली - BCCI, Supreme Court
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री और पूर्व क्रिकेट प्रशासक अरुण जेटली ने ढांचागत सुधारों के लिए लागू की जाने वाली लोढा समिति की सिफारिशों का समर्थन करते हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को इस बाबत सर्वोच्च अदालत से ज्यादा टकराव मोल नहीं लेने की सलाह दी है।
          
एक जुलाई से देश को एक समान कर व्यवस्था जीएससी का तोहफा देने वाले जेटली पेशे से एक वरिष्ठ वकील भी हैं और उन्होंने जुलाई में सर्वोच्च अदालत द्वारा मंजूर की गई न्यायाधीश आर एम लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने का समर्थन किया है। 
 
जेटली ने शनिवार को बीसीसीआई की विशेष समिति से बातचीत की जिसे, इन सिफारिशों को लागू करने और इसके कुछ मुश्किल वाले पहलुओं की पहचान के लिए गठित किया गया है।
         
बोर्ड की यह विशेष समिति ऐसी सिफारिशों की पहचान कर उसकी रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय में पेश करेगी जिस पर अगली सुनवाई 14 जुलाई को होनी है। जेटली ने इस बैठक में बोर्ड के सचिव अमिताभ चौधरी, कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी, समिति के अध्यक्ष राजीव शुक्ला और सात सदस्यीय समिति के एक सदस्य जय शाह से मुलाकात की।
        
बैठक में मौजूद बोर्ड अधिकारी ने क्रिकइंफो को बताया कि वित्त मंत्री ने सर्वोच्च अदालत में केवल तीन या चार बेहद पेचीदा सिफारिशों को ही अदालत के समक्ष रखने और बाकी को बोर्ड में लागू करने की हिदायत दी है ताकि इस मामले पर सहमति बन सके।
         
जेटली वित्त मंत्री बनने के बाद क्रिकेट से जुड़े नहीं हैं लेकिन इससे पहले वह दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। क्रिकेट के कई बड़े मुद्दों पर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन, शशांक मनोहर और अनुराग ठाकुर भी जेटली से काफी चर्चा किया करते थे। ऐसे में सिफारिशों को लेकर बोर्ड में चल रही उठापठक के बीच जेटली की बोर्ड बीसीसीआई सदस्यों के साथ यह बैठक काफी हैरान करने वाली नहीं है।
 
बीसीसीआई सूत्र के अनुसार विशेष समिति ने जिन सिफारिशों को लेकर रिपोर्ट अदालत में पेश करने का निर्णय किया है उसमें मुख्य रूप से एक वोट एक राज्य, तीन सदस्यीय चयन समिति, तीन वर्ष का कूलिंग ऑफ पीरियड शामिल हैं। 
 
इससे पहले समिति की पहली बैठक में भी पदाधिकारियों के तीन वर्ष के कूलिंग ऑफ पीरियड पर काफी बहस हुई थी जिसमें बोर्ड की राय है कि कोई पदाधिकारी कम से कम नौ वर्ष एक ही पद पर बिता सके।
 
खुद जेटली ने भी कूलिंग ऑफ पीरियड को लेकर शीर्ष अदालत से दोबारा सलाह लेने पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा मुझे लगता है कि किसी पदाधिकारी के लिए नौ वर्ष का कार्यकाल की व्यवस्था ठीक है। जब इतने वर्ष का कैप लगा दिया है तो कूलिंग ऑफ की जरूरत नहीं है क्योंकि अचानक तीन वर्ष बाद कोई गैर अनुभवी अधिकारी पद संभाले तो यह अस्वभाविक होगा।
              
वहीं जेटली ने 70 वर्ष की आयु सीमा किसी पदाधिकारी के लिए तय करने की सिफारिश का खुला समर्थन किया। समिति सात जुलाई को अगली बैठक में सभी सिफारिशों की सूची तैयार कर सकती है, जिसे 14 जुलाई को शीर्ष अदालत में पेश किया जाएगा।
               
बीसीसीआई सूत्र ने कहा कि जेटली ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि बोर्ड अपने रूख में लचीलापन नहीं लाएगा तो उसे इसके लिए बड़ी कीमत अदा करनी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि जेटली एक बड़े वकील हैं और अदालत को अच्छी तरह समझते हैं। (वार्ता) 
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