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Last Modified: सोमवार, 31 अगस्त 2020 (15:31 IST)

कहीं राहत तो कहीं लगेगा झटका, 1 सितंबर से इन नियमों में होगा बदलाव

कहीं राहत तो कहीं लगेगा झटका, 1 सितंबर से इन नियमों में होगा बदलाव - changes from 1 september will impact your financials
1 सितंबर से कई नियमों में बदलाव होने जा रहा है, जिसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा। जानिए कौनसे हैं वे नियम जिनका असर आपकी आर्थिक गतिविधियों पर पड़ने वाला है। कहीं आपको राहत मिलेगी तो कहीं महंगाई का झटका लगने वाला है।
घट सकती है रसोई गैस की कीमतें : हर महीने की 1 तारीख को एलपीजी सिलेंडर की कीमतों की समीक्षा होती है। ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना काल में सरकार आम जनता को राहत देते हुए रसोई गैस की कीमतों में कटौती कर सकती है।
महंगा हो सकता है हवाई सफर : कोरोना वायरस महामारी के कारण एयरलाइंस कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। एयरलाइंस कंपनियों को उड़ानों के मामले में छूट दी जाने से हो सकता है कि एयरलाइंस कंपनी किराए में बढ़ोतरी करे। इसके अतिरिक्त नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 1 सितंबर से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों से उच्च विमानन सुरक्षा शुल्क वसूलने का फैसला किया है। डोमेस्टिक यात्रियों से अब 150 की बजाय 160 रुपए उच्च विमानन सुरक्षा शुल्क देना होगा, वहीं अंतरराष्ट्रीय यात्रियों से 4.85 डॉलर के बदले 5.2 डॉलर लिए जाएंगे। इंटरनेशनल हवाई यात्रा करने पर करने 40 रुपये ज्यादा देने होंगे।
 
मेट्रो ट्रेन चलने से राहत : केंद्र सरकार ने अनलॉक-4 में मेट्रो ट्रेन चलाने को हरी झंडी दिखा दी है। 7 सितंबर से मेट्रो ट्रेन चलेगी। मेट्रो चलने से आपके ट्रांसपोटेशन के खर्च में कमी आएगी और आपकी जेब को राहत मिलगी। 
 
निवेश में बदलने वाले हैं नियम : शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए नियम थोड़े बदलने वाले हैं। अब इन्वेस्टर ब्रोकर की तरफ से मिलने वाले मार्जिन का फायदा नहीं उठा सकेंगे। जितना पैसा निवेशक अपफ्रंट मार्जिन के तौर पर अपने ब्रोकर को देंगे सिर्फ उतने के ही शेयर खरीद पाएंगे। 
 
की राहत सीमा खत्म : भारतीय रिजर्व बैंक ने मार्च में EMI भरने से जो राहत दी थी, उसकी समय-सीमा 31 अगस्त को समाप्त हो रही है। रिजर्व बैंक ने शुरुआत में 3 महीने के मॉरिटोरियम की घोषणा की थी। इसके बाद फिर से 31 अगस्त तक मॉरेटोरियम बढ़ाने का फैसला किया गया। अब इसके बाद रिजर्व बैंक ने मॉरिटोरियम नहीं बढ़ाया यानी आपको अब अपनी EMI चुकाना पड़ेगी। हालांकि लोन लेने वाले बैंक ग्राहकों के पास विकल्प है कि वे अपने लोन की रिस्ट्रक्चरिंग करवा सकते हैं। इसमें ग्राहक कोरोना के बाद की अपनी परिस्थिति के अनुसार अपने लोन की किस्त, समयसीमा वगैरह को फिर से रीस्ट्रक्चर करवा सकेंगे।
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