मकर और कुंभ का स्वामी शनि को तुला में उच्च और मेष में नीच का माना गया है। इसके बुध, शुक्र और राहु मित्र हैं, सूर्य, चन्द्र और मंगल शत्रु हैं और केतु एवं बृहस्पति सम हैं। शनि का 11वां भाव पक्का घर है। लाल किताब में शत्रु और मित्र कुंडली की स्थिति के अनुसार होते हैं। लाल किताब के अनुसार यहां प्रस्तुत हैं शनि को शुभ करने के खाने के अनुसार उपाय-
शनि के अशुभ होने की निशानी
*मकान का कोई हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है।
*कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिक जाता है।
*शरीर के बाल तेजी से झड़ जाते हैं।
*अचानक आग लग सकती है।
*धन, संपत्ति का किसी भी तरह नाश होता है।
*समयपूर्व दांत और आंख कमजोर हो जाती है।
सावधानी
*शनि के मंदे कार्य करें तो शुक्र साथ छोड़ देता है।
*शनि लग्न में हो तो तांबा या तांबे का सिक्का कभी दान न करें।
*शनि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला का निर्माण न कराएं।
*शनि अष्टम भाव में हो तो मकान न बनाएं और न खरीदें।
*शराब पीना, ब्याज का धंधा, जुआ खेलना या परस्त्रीगमन करना सख्त मना है।
उपाय
*छायादान करें।
*दांत साफ रखें।
*कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं।
*भगवान भैरव की उपासना करें।
*अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाइकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें।
*शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं।